राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो (एनसीआरबी) ने वर्ष 2015 के अपराध का आंकड़ा जारी कर दिया है। ब्बिहार में 2014 के प्रति एक लाख पर 174.2 के मुकाबले 2015 में अपराध की दर घटकर 171.6 हुई है।
एडीजी मुख्यालय सुनील कुमार ने एनसीआरबी के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि अपराध दर के अनुसार दिल्ली पहला, मध्य प्रदेश तीसरा, हरियाणा पांचवां, महाराष्ट्र नौवां, छत्तीसगढ़ बारहवां, गुजरात सोलहवां की अपेक्षा बिहार की स्थिति बेहतर है।
वहीं कुल दर्ज संज्ञेय अपराधों की संख्या के अनुसार बिहार का स्थान नौवां हैं। इस मामले में भी महाराष्ट्र पहले, मध्य प्रदेश दूसरे, राजस्थान पांचवें और दिल्ली छठें स्थान पर है।
सामान्य दंगे में दूसरे स्थान पर : एडीजी के मुताबिक हत्या, डकैती, लूट, गृह भेदन, चोरी, सामान्य अपहरण, महिला अपराध, बलात्कार और सांप्रदायिक दंगों के मामलों में बिहार की स्थित कई राज्यों की तुलना में बेहतर है। सामान्य दंगा के मामले में बिहार देशभर में दूसरे स्थान पर है। इसकी वजह पांच या इससे अधिक व्यक्तियों द्वारा आपस में मारपीट की सामान्य घटना को भी दंगा शीर्षक से बिहार में दर्ज किया जाता है। जनसंख्या घनत्व राष्ट्रीय स्तर पर सबसे अधिक होने और मामूली मारपीट में भी मामला दर्ज करने के चलते सामान्य दंगा के मामले में बिहार का स्थान दूसरा है। वहीं राज्य के विरुद्ध अपराध में बिहार का स्थान तीसरा है। इसका कारण बिहार के 50 प्रतिशत से ज्यादा जिलों का वामपंथी उग्रवाद से ग्रस्त होना है।
शराबबंदी के बाद घटे अपराध
पुलिस का दावा है कि शराबबंदी के बाद बिहार में अपराध में काफी कमी आई है। 2015 में अप्रैल से जुलाई की अपेक्षा 2016 में अप्रैल से जुलाई तक हत्या में 31.74 प्रतिशत, डकैती में 29.73 प्रतिशत, लूट में 10.33 प्रतिशत, दंगा में 18.42 प्रतिशत, फिरौती के लिए अपहरण में 61.54 प्रतिशत, बलात्कार में 20.15 प्रतिशत, रोड डकैती में 27.40 प्रतिशत, रोड लूट में 3.31 प्रतिशत की कमी आई है। इस अवधि में सड़क दुर्घटना के मामलों में 24.69 प्रतिशत और मृतकों की संख्या में 26.15 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
अपराध देश में बिहार का स्थान इ
हत्या 12वां
डकैती 06
लूट 15
गृह भेदन 28
चोरी 22
सामान्य अपहरण 15
महिला अपराध 26
बलात्कार 30
सामान्य दंगा 02
सांप्रदायिक दंगा 10
राज्य के विरुद्ध अपराध 03
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