जून में राजस्थान यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग ने अपने पाठ्यक्रम में शामिल एक किताब में दावा किया था कि महाराणा प्रताप ने हल्दीघाटी की लड़ाई में सम्राट अकबर को हराया था। महाराष्ट्र शिक्षा बोर्ड ने नए सिलेबस में मुगल सम्राट के शासन की सिर्फ तीन पंक्तियों को हटा दिया है।
मुंबई मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, शिवाजी द्वारा स्थापित मराठा साम्राज्य पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, बोर्ड ने सातवीं और आठवीं कक्षा के लिए इतिहास पाठ्यपुस्तकों में संशोधिन किया है, जो उस समय के दौरान बनाए गए मुगल शासन और स्मारकों के सभी अंशों को दर्शाते हैं।
राज्य शिक्षा विभाग ने पूरे सिलेबस से मुस्लिम शासकों के इतिहास को हटा दिया है। नए इतिहास में इसका कहीं पर भी जिक्र किया नहीं है कि ताजमहल, कुतुब मीनार और लाल किला आखिर किसने बनवाया। लेकिन इस किताब में बोफोर्स घोटाले और 1975-77 में लगी इमरजेंसी का जिक्र है और उसे विस्तार से बताया गया है।
जिन छात्रों को पिछले साल बताया गया था कि अकबर “उदार और सहनशील प्रशासक था। अब उन छात्रों को सिखाया जाएगा कि उन्होंने “भारत को केंद्रीय प्राधिकरण के तहत लाने की कोशिश की” और प्रताप की पसंद से विरोध का सामना किया।
अब नए सिलेबस में मुख्य रूप से मराठा साम्राज्य पर ध्यान दिया गया है। शिवाजी, जो पहले पाठ्यपुस्तक में थे जिन्हें ‘लोगों का राजा’ कहा जाता है, तो वहीं इस नए सिलेबस में उन्हें ‘आदर्श शासक’ कहा जाएगा।
मध्यकालीन इतिहास में शिवाजी की भूमिका और उनके परिवार और मराठा जनरलों का विस्तार किया गया है। मराठी समुदाय में उनके रोल और उनके योगदान को काफी बड़े पैमाने पर दर्शाया गया है।
Be the first to comment on "अब महाराष्ट्र में बदलेगा इतिहास, मुगल शासकों को छोड़ बोफोर्स-इमरजेंसी की होगी पढ़ाई"