प्रदेश के बुनकर हुए हाई-टेक
कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री श्री अंतर सिंह आर्य ने की विभागीय समीक्षा
भोपाल :खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड जल्द ही बाजार में रिंकल फ्री खादी लांच करने जा रहा है। खास बात यह है कि इन वस्त्रों में लम्बे समय तक कलफ लगाने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। यह जानकारी कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री श्री अंतर सिंह आर्य द्वारा विभागीय समीक्षा बैठक में दी गयी। प्रमुख सचिव कुटीर एवं ग्रामोद्योग श्रीमती वीरा राणा ने हाथकरघा, हस्तशिल्प, रेशम, खादी, माटी कला गतिविधियों की विस्तृत जानकारी श्री आर्य को दी। आयुक्त हाथकरघा श्रीमती जी.वी. रश्मि और मुख्य कार्यपालन अधिकारी माटी कला बोर्ड श्री सी.एम. शर्मा भी बैठक में मौजूद थे।
बन रहा है पोर्टल
चंदेरी-महेश्वरी हो या हस्तशिल्प मध्यप्रदेश के उत्पादों की माँग देश-विदेश में बढ़ती जा रही है। इन माँगों के अनुरूप बुनकर न केवल खुद को ढाल सकें, बल्कि बेहतर बाजार पाकर आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकें, इसके लिये उन्हें हाईटेक बनाया जा रहा है। ऑनलाइन शॉपिंग ट्रेंड बढ़ने से बुनकरों को राष्ट्रीय फैशन टेक्नालॉजी संस्थान से ई-कॉमर्स का प्रशिक्षण दिलवाया गया है। शासकीय वस्त्र प्रदाय योजना में प्रदाय आदेशों के लिये वेबसाइट पोर्टल तैयार किया जा रहा है। बुनकरों के ही बच्चों का चयन कर निफ्ट और दिल्ली में ऑनलाइन ट्रेडिंग का प्रशिक्षण दिलवाया गया है।
महिलाओं की भागीदारी है 50 प्रतिशत से अधिक
कुटीर और ग्रामोद्योग में 50 प्रतिशत से अधिक महिला उद्यमियों की सक्रिय भागीदारी है। अधिसंख्य उद्यमी पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित-जाति एवं जनजाति से हैं। परम्परागत कला को जीवित रखने के लिये चंदेरी में चंदेरी और महेश्वर में महेश्वर वस्त्र का निर्माण किया जा रहा है। कारीगरों को आधुनिक माँग के अनुरूप काम करने के लिये राष्ट्र-स्तरीय संस्थाओं में प्रशिक्षित भी किया जा रहा है।
रेशम उत्पादन में बढ़ी आत्म-निर्भरता
बैतूल, खण्डवा, नरसिंहपुर, बुरहानपुर एवं होशंगाबाद में 5 नये मलबरी क्लस्टर का विकास किया गया है। प्रदेश में कुल 13 हजार 992 एकड़ में मलबरी पौध-रोपण कर 17 लाख किलोग्राम मलबरी ककून का उत्पादन किया गया है।
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