मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टर 70 साल की उम्र तक नौकरी कर सकेंगे। इस बाबत मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने गाइडलाइन जारी की है। प्रदेश में अभी डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति सीमा आयु 67 साल है। अगर सूबे में गाइडलाइन लागू किया गया, तो 200 डॉक्टरों की सेवा अवधि का विस्तार होगा।
रिटायरमेंट से 20 प्रतिशत रिक्त होंगे पद : अगले तीन साल में मेडिकल कॉलेजों में सेवानिवृत्ति के कारण लगभग 20 प्रतिशत पद रिक्त होने वाले हैं। राज्य में लगभग छह हजार डॉक्टर सरकारी सेवा में तैनात हैं। इसमें आठ सौ विभिन्न विभागों में विशेषज्ञ हैं। विशेषज्ञों में 20 प्रतिशत ऐसे हैं, जो जुलाई 2017 के बाद सेवानिवृत्त होंगे। इससे पहले जुलाई 2015 में सरकार ने डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति की उम्र सीमा 65 से 67 वर्ष कर दी थी, जिससे लगभग 60 डॉक्टरों की सेवा में रह गए।
अगले साल सेवानिवृत्त होने वाले प्रमुख डॉक्टर : 2017 में जो प्रमुख डॉक्टर सेवानिवृत्त होने वाले हैं, उनमें पीएसमीएच के सर्जन डॉ. एबी सिंह, माइक्रोबायोलॉजी के डॉ. उमेश शर्मा, मेडिसिन के डॉ. विभू प्रियदर्शी, डॉ. प्रशांत कुमार, डॉ. सुधीर कुमार और नेत्र रोग विभाग के डॉ. रामानुज सिंह शामिल हैं। डीएमसीएच के चार,गया मेडिकल कॉलेज के तीन, एनएमसीएच के चार विशेषज्ञ भी रिटायर होंगे।
उम्र सीमा बढ़ाएं पर रिक्त पद भी भरें : आईएमए के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सच्चिदानंद कुमार का कहना है कि राज्य हित में चिकित्सा व्यवस्था को बेहतर करने के लिए उम्र सीमा बढ़ाने की जरूरत है रिक्त पद जरूर भरें। डॉक्टरों को पदोन्नति देकर विभिन्न खाली पदों को भी भरें,तभी व्यवस्था सुधरेगी। नए मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की गई है, लेकिन बेतिया और पावापुरी मेडिकल कॉलेज में अभी भी डॉक्टरों की कमी है। ऐसे में उम्र सीमा बढ़ाने से ऐसे कॉलेजों को लाभ मिल सकता है।
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