अब सिर्फ कम्पुटर के सामने बोलने से दर्ज हो जाएगी एफआईआर लेकिन…

जबलपुर. अब अपनी फरियाद लेकर थाने पहुचे किसी फरियादी से कागज, पेन सहित स्टेशनरी शायद न माँगनी पड़े, खबर है की अब लिखकर नहीं सिर्फ थाने के कम्प्यूटर के सामने बोलकर भी पुलिस कर्मी एफआईआर दर्ज कर सकते है. इसके लिए विभाग स्वयं का टेक्स्ट टू स्पीच सॉफ्टवेयर लांच कर रहा है. यानि अब न तो उस पुलिस कर्मी की प्रतीक्षा करनी होगी जो टाइपिंग जानता है न ही टाइपिंग स्पीड से फरियादी को जूझना पड़ेगा. यानि अब महज चंद मिनिटों में एफआईआर दर्ज हो सकती है लेकिन बाकि सिस्टम पुराना ही रहेगा यानि ऐसा नहीं होगा की थानेदार को पता ही न चले और एफआईआर दर्ज हो जाये. यह व्यवस्था प्रारंभिक तौर पर राजधानी में फिर संस्कारधानी सहित समूचे प्रदेश में प्रारंभ की जा सकती है. चंद मिनिटों में मिलेगा प्रिंट पुलिस थाने में कम्प्यूटर के सामने बैठकर अपनी फरियाद लिखवाने के लिए कुछ दिनों बाद पुलिसकर्मी की टाइपिंग स्पीड से पीड़ित को जूझना नहीं पड़ेगा. इसके लिए पुलिस गूगल और माइक्रोसॉफ्ट की तरह अपना खुद का ‘स्पीच टू टेक्स्ट’ ऐप डेवलप कर रही है. थाने में बैठा पुलिसकर्मी कम्प्यूटर के सामने पीड़ित की फरियाद बोलते जाएंगे और कुछ मिनट में ही उसका प्रिंट भी मिल जाएगा यदि थाने में स्टेशनरी उपलब्ध हो तो. दो आईपीएस अधिकारीयों की मेहनत भारतीय पुलिस सेवा के 2013 बैच के दो अधिकारी सूरज वर्मा और हितेष चौधरी स्पीच टू टेक्स्ट टेक्नोलॉजी को लेकर काम कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ प्रोग्राम को करने वाली भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी ‘लिव डॉट एआई’ के माध्यम से मप्र पुलिस के लिए यह टेक्नोलॉजी लाने का प्रयास किया जा रहा है. मिलगी झंझट से मुक्तिथाने में एफआईआर लिखाना हो या पुलिस के विवेचक को डायरी लिखना हो या डायल 100 वैन में बैठे पुलिसकर्मी को एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) लिखना, सभी में कम्प्यूटर या टैब पर टाइप करने की झंझट से पुलिस कर्मचारी को मुक्ति मिल जाएगी. ये है मौजूदा हालात मौजूदा व्यवस्था में एफआईआर दर्ज कराना आम और खास के लिए थोड़ा सा अधिक पीड़ा दायक है. एफआईआर दर्ज कराने के लिए पीड़ित को पहले स्टेशनरी अपने खर्च से लाकर काफी देर तक टाइप करने वाले पुलिसकर्मी के इंतजार में रुकना पड़ता है हालाँकि स्टेशनरी लेकर आना पीड़ित का कम नहीं है. इसी तरह थाने के विवेचक डायरी लिखने के बाद कंप्यूटर पर टाइप करने लिए एक सिपाही को सौंप देते हैं और इसी तरह थाना प्रभारी भी सिपाही से ही कम्प्यूटर में टाइप कराते है. तब तक रोजनामचा आगे के काम के लिए रोक दिया जाता है. इस कम के लिए पूर्व में प्राइवेट ओपरटर भी रखे गए थे. जुड़ जाएंगे सभी थाने कम्प्यूटर पर टाइप करने के स्थान पर उसके सामने बोलकर लिखने वाली टेक्नोलॉजी आने पर इसे भी सीसीटीएनएस सिस्टम से जोड़ा जाएगा. इससे मप्र के सभी पुलिस थानों में यह सिस्टम काम करना शुरू कर देगा.

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