अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में 11 अगस्त से शुरू होगी सुनवाई

नई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर के मसले पर 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच दोपहर करीब दो सुनवाई करेगी।

इससे पहले बीते महीने सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका पर जल्द फैसला लेगा। सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने मामले को उठाया और कहा कि अयोध्या मामले की जल्दी सुनवाई की जानी चाहिए। इस पर चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि हम जल्दी सुनवाई के लिए लिस्ट करने के मुद्दे पर फैसला लेंगे।

गौरतलब है कि 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहा दी गई थी। राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता की पेशकश की है। चीफ जस्टिस जे एस खेहर ने कहा है कि अगर दोनों पक्ष राजी हो तो वो कोर्ट के बाहर मध्यस्थता करने को तैयार हैं। इसी साल 19 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती समेत भाजपा और आरएसएस के कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया।

इस विवाद का पूरा घटनाक्रम

1528: अयोध्या में बाबरी मस्जिद के निर्माण का दावा

1853: हिंदुओं का आरोप कि भगवान राम के मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण हुआ। इस मुद्दे पर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच पहली हिंसा हुई।

1859: ब्रिटिश सरकार ने तारों की एक बाड़ खड़ी की। मुस्लिमों और हिदुओं को अलग-अलग प्रार्थनाओं की इजाजत दी।

1885: मामला पहली बार अदालत में पहुंचा। महंत रघुबर दास ने फैजाबाद अदालत में बाबरी मस्जिद से लगे राम मंदिर के निर्माण की इजाजत के लिए अपील दायर की।

1949: हिंदुओं ने मस्जिद के भीतर कथित तौर पर भगवान राम की मूर्ति रख दी। इसके बाद उस स्थान पर हिंदू नियमित रूप से पूजा करने लगे। मुसलमानों ने नमाज पढ़ना बंद कर दिया।

1950: गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद अदालत में अपील दायर की। रामलला की पूजा-अर्चना की विशेष इजाजत मांगी। उन्होंने वहां से मूर्ति हटाने पर न्यायिक रोक की भी मांग की।

1961: उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक के लिए मुकदमा दायर किया।

1984: विश्व हिंदू परिषद ने बाबरी मस्जिद के ताले खोलने और राम जन्मस्थान को स्वतंत्र कराने व एक विशाल मंदिर के निर्माण के लिए अभियान शुरू किया। और एक समिति का गठन किया।

1986: फैजाबाद जिला न्यायाधीश ने विवादित स्थल पर हिदुओं को पूजा की इजाजत दी।

1989: तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने बाबरी मस्जिद के नजदीक शिलान्यास की इजाजत दी।

1990: भाजपा अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली।

1990: आडवाणी को बिहार के समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया। बीजेपी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया।

1991: उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह सरकार ने बाबरी मस्जिद के आस-पास की 2.77 एकड़ भूमि को अपने अधिकार में ले लिया।

1992: 6 दिसंबर को हजारों की संख्या में कार सेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढहा दिया, इस घटना के बाद सांप्रदायिक दंगे हुए।

1992: मस्जिद की तोड़-फोड़ की जांच के लिए एम.एस. लिब्रहान आयोग का गठन हुआ।

2002: अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर उच्च न्यायालय के तीन जजों की पीठ ने सुनवाई शुरू की।

2003: इलाहबाद उच्च न्यायालय के निर्देशों पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अयोध्या में खुदाई की। मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष होने के प्रमाण मिलने का दावा।

2003: अदालत का फैसला, मस्जिद के विध्वंस को उकसाने वाले सात हिंदू नेताओं को सुनवाई के लिए बुलाया जाए।

2004: आडवाणी ने अयोध्या में मंदिर निर्माण की बीजेपी की प्रतिबद्धता दोहराई।

2005: संदिग्ध इस्लामी आतंकवादियों ने विस्फोटकों से भरी एक जीप का इस्तेमाल करते हुए विवादित स्थल पर हमला किया। सुरक्षा बलों ने पांच आतंकवादियों को मार गिराया।

2009: लिब्रहान आयोग ने गठन के 17 साल बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी।

2010: सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहबाद उच्च न्यायालय को विवादित मामले में फैसला देने से रोकने वाली याचिका खारिज करते हुए फैसले का मार्ग प्रशस्त किया।

2010: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया।

2017: राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता की पेशकश की है. चीफ जस्टिस जे एस खेहर ने कहा है कि अगर दोनों पक्ष राजी हो तो वो कोर्ट के बाहर मध्यस्थता करने को तैयार हैं।

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