आईडी डिटेल्स हो जाएं चोरी, तो याद से करें ये चार काम

आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, ई-मेल, बैंक अकाउंट नंबर और क्रेडिट-डेबिट कार्ड की डिटेल्स आपकी पर्सनल आइडेंटिटी में शुमार होती है। इन डिटेल्स को संभालकर रखना होता है, लेकिन कई बार ये डिटेल्स चोरी हो जाती हैं। इसे आइडेंटिटी थेफ्ट के नाम से जाना जाता है। आज कल इस तरह की चोरी होना आम बात है।

रजिस्टर कराएं एफआईआर

अगर आपको अपनी आईडी डिटेल्स चोरी हो जाएं तो सबसे पहले पास के किसी भी पुलिस स्टेशन में जाकर के एफआईआर दर्ज कराएं। पुलिस इस मामलें में एफआईआर दर्ज करने से मना नहीं कर सकती है। साइबर सिक्युरिटी एक्सपर्ट एडवोकेट पवन दुग्गल ने बताया कि पुलिस आईटी एक्ट के तहत एफआईआर को दर्ज करेगी।

पुलिस स्टेशन में मौजूद इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी से मिलकर आप ऐसा कर सकते हैं।ऑनलाइन भी करा सकते हैं एफआईआर

दुग्गल ने बताया कि पुलिस स्टेशन दूर होने पर ऑनलाइन भी अपनी शिकायत को रजिस्टर्ड कराया जा सकता है। इसके लिए हर राज्य में पुलिस डिपॉर्टमेंट ने अपनी एक वेबसाइट बना रखी है। अपनी शिकायत को रजिस्टर्ड कराने के बाद इसका प्रिंटआउट लेकर के संभाल कर रख लें। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर भविष्य में आप किसी तरह से पकड़े जाते हैं तो आपको पुलिस परेशान नहीं करेगी।

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अपनी पर्सनल डिटेल्स को करें रिव्यू

पर्सनल इन्फॉर्मेशन की डिटेल्स के चोरी हो जाने के बाद बैंक और अन्य जगह पर भी शिकायत दर्ज कराएं और डिटेल्स को चेंज करने की कोशिश करें। आप अपना फोन नंबर और ईमेल आईडी चेंज कर सकते हैं एवं डेबिट-क्रेडिट कार्ड को ब्लॉक करवा कर नया कार्ड बनवा सकते हैं। आधार कार्ड और पैन कार्ड की डिटेल्स को चेंज नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसके बारे में संबंधित अथॉरिटी को भी अपनी शिकायत भेज सकते हैं।

डिजिलॉकर में सेव कर सकते हैं डॉक्युमेंट्स

दुग्गल ने बताया कि सरकार की तरफ से भी डिजिलॉकर दिया गया है जहां पर डॉक्युमेंट्स की डिटेल्स को सुरक्षित तरीके से सेव किया जा सकता है। गूगल पर भी लोग अपने नाम को एलर्ट के रूप में सेव कर सकते हैं। इससे यह पता चल जाएगा कि आपके नाम का प्रयोग इंटरनेट पर कहीं कोई गलत तरीके से तो इस्तेमाल नहीं कर रहा है। आईटी एक्ट 66सी के अंतर्गत आईडेंटी चोरी करने वाले व्यक्ति को 3 साल तक की सजा हो सकती है और 1 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।

4 तरह से होती है आपकी आईडी चोरी

अकाउंट टेकओवरः इस तरह के फ्रॉड में क्रेडिट कार्ड, बैंक और अन्य फाइनेंश्यिल अकाउंट्स की चोरी की जाती है। आपके नाम और डॉक्युमेंट्स की मदद से ऐसे चोर आपके घर और ऑफिस का पता तक बदलवा सकते हैं ताकि बिल और स्टेटमेंट आप तक न पहुंचे और ये हर महीने चूना लगाते रहें।

ट्रू नेम थेफ्टः इस प्रकार की चोरी में आपकी पर्सनल इन्फॉर्मेशन से फेक डॉक्युमेंट तैयार करते हैं और बैंक में नया अकाउंट खुलवाते हैं। फिर इस अकाउंट के जरिए लोन, क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई करते हैं।

क्रिमिनल आइडेंटिटी थेफ्टः इस तरह की थेफ्ट में क्लोनिंग जैसे क्राइम आते हैं।

मेडिकल आइडेंटिटी थेफ्टः इस तरह के थेफ्ट में फ्रॉड करने वाला व्यक्ति आपकी इन्श्योरेंस संबंधित जानकारियों की चोरी करते हैं ताकि वह आपकी पॉलिसी से खुद के लिए लाभ ले सकें।

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