इसकी अदाओं में फंसती थीं लड़कियां, सब लुटने के बाद आता था होश

मुंबई। वो चिकनी-चुपड़ी बातें करता था। अपने आपको पायलट बताता था। मैट्रिमोनियल साइट्स पर अपने बारे में बड़ी बड़ी बातें लिखा करता था। लड़कियों को अपने जाल में फंसा कर मोटी रकम ऐंठता था। ये किसी फिल्म की कहानी नहीं बल्कि हकीकत है।
जिस शख्स का जिक्र हम कर रहे हैं। वो किसी एयरलाइन में पायलट नहीं है बल्कि सेंट्रल रेलवे में काम करने वाला आनंद अवधनरेश सिंह ऊर्फ अर्जुन राणे है। इस शख्स पर आरोप है कि वो मैट्रिमोनियल साइट्स के जरिये लड़कियों के साथ मेलजोल बढ़ाकर मोटी रकम उगाहता था।
ठगी की ये कहानी बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में काम करने वाली पायल जाधव (बदला हुआ नाम) से जुड़ी है। पायल का कहना है कि आनंद उर्फ अर्जुन राणे ने अपने आपको पायलट बताकर उससे संपर्क साधने की कोशिश की ।पहले तो उसने ध्यान नहीं दिया लेकिन अंत में उसने अर्जुन से मिलने का फैसला किया।
करीब दो महीने की मुलाकात में उसने करीब 80 हजार रुपए खर्च कर दिए। जब उसे लगा कि अर्जुन पायलट नहीं है। तो ये पायल ने अर्जुन से इस बारे में बात की लेकिन अर्जुन भी शातिर निकला और पायल का भरोसा जीतने में कामयाब रहा। पायल के सवाल पर कि कि वो पायलट की तरह नहीं दिखता है, उसने गोलमाल जवाब देकर उसे प्रभावित कर लिया।
पायल के मुताबिक वो पायलट नहीं है बल्कि सेंट्रल रेलवे में कार्यरत है। उसकी शादी हो चुकी है और उसे दो बच्चे भी हैं। दरअसल अर्जुन राणे असली नाम आनंद अवधनरेश सिंह है। वो अलग-अलग मैट्रिमोनियल साइट्स के जरिये लड़कियों के विश्वास को जीतता है और उन्हें झांसा देकर पैसे ऐंठता है।
पायल का कहना है कि वो आनंद उर्फ अर्जुन से दो बार मातुंगा और बांद्रा में रेस्टोरेंट में मिली थी। वो स्काइप और दूसरे सोशल साइट्स के जरिये एक-दूसरे के संपर्क में रहते थे। दो महीने की मुलाकात के बाद उसे लगा कि अब शादी कर लेनी चाहिेए। इस बारे में उसने आनंद से बात की लेकिन वो टालता रहा।
काफी दबाव के बाद उसने कहा कि उसके माता पिता की मौत इस्टर्न एक्सप्रेस वे पर हुए हादसे में वर्ष 2010 में हो गई थी। उसकी डॉक्टर बहन की शादी अमेरिका में एक सीआईए एजेंट से हुई थी। पायल ने कहा कि आनंद जज्बाती बातों से लड़कियों से सहानुभूति हासिल करता था। वो इतनी अच्छी तरह से झूठ बोलता था कि उसकी बातों पर भरोसा हो जाता था।
पायल जाधव अकेली नहीं है जो इस शख्स की ठगी की शिकार हुई हो बल्कि 15 दिनों के कॉल रिकॉर्ड से ये पता चलता है कि उसने आठ और लड़कियों को निशाना बनाया था। बांद्रा साइबर पुलिस स्टेशन में वर्ष 2015 में इसी तरह के 6 मामले दर्ज किए गए थे जिसमें डेढ़ करोड़ से ज्यादा की ठगी की गई थी। अब तक दो मामलों को पुलिस ने सुलझाया है।
साइबर मामले से निपटने के लिए मुंबई में मात्र एक पुलिस स्टेशन है जबकि मुंबई मेें थानों की संख्या 93 है। एक पुलिस अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि आप को महिलाओं का विश्वास हासिल करने के लिए बेहतर वक्ता होना चाहिए। एक बार जब आप विश्वास बना लेते हैं तो महिलाएं लाखों रुपए ऑनलाइन ट्रांसफर के लिए तैयार रहती हैं। पुलिस का कहना है कि 30-40 एज ग्रुप की महिलाएं आसानी से इस तरह ठगी का शिकार बन रही हैं।
 

 

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