उज्जैन के नये तीर्थ के रूप में जाना जायेगा त्रिवेणी संग्रहालय

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने किया कला एवं पुरातत्व संग्रहालय का लोकार्पण 

भोपाल :सिंहस्थ के बाद भी धार्मिक एवं ऐतिहासिक नगरी उज्जयनी पूरे विश्व में पर्यटन नगरी के रूप में जानी जायेगी। उज्जैन का त्रिवेणी संग्रहालय विश्व पटल पर एक नये तीर्थ के रूप में जाना जायेगा। यह बात मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज उज्जैन में कला एवं पुरातत्व संग्रहालय ‘‘त्रिवेणी’’ के लोकार्पण अवसर पर कही। उज्जैन के जयसिंहपुरा स्थित रुद्रतालाब के समीप प्रदेश सरकार द्वारा त्रिवेणी संग्रहालय स्थापित किया गया है।

भारतीय कला-संस्कृति एवं पुरातात्विक वैभव को अपने में समेंटे त्रिवेणी संग्रहालय में शैव, शाक्त एवं वैष्णव दर्शन की प्राचीनतम मूर्तियाँ संग्रहीत की गईं हैं। इन तीनों ईश्वरीय शक्तियों के प्रतीकों को नये रूप में इस संग्रहालय में संस्कृति विभाग द्वारा अद्भुत अंदाज में प्रस्तुत किया गया है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि त्रिवेणी संग्रहालय में इक्कीस सौ वर्ष पुरानी जीवन्त मूर्ति संग्रहीत है। यह मूर्ति सहित अन्य प्राचीन मूर्तियाँ खास तौर पर मध्यप्रदेश की उन्नत एवं वैभवशाली स्थापत्य कला का परिचय करवाती हैं। उन्होंने कहा संस्कृति विभाग ने भी शिव, विष्णु एवं शक्ति की प्रतीक माँ दुर्गा के अदभुत चित्र एवं मूर्तियों के माध्यम से भारतीय धार्मिक एवं सांस्कृतिक वैभव को बखूबी ढंग से उकेरा है। श्री चौहान ने इस संग्रहालय को विश्व स्तरीय संग्रहालय बतलाया। मुख्यमंत्री ने संग्रहालय का अवलोकन कर विजिटर बुक पर संग्रहालय की विशेषताओं की सराहना लिखकर अपने हस्ताक्षर किये।

इस मौके पर सिंहस्थ मेला के प्रभारी एवं परिवहन मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह, स्कूल शिक्षा मंत्री श्री पारस जैन, संस्कृति राज्य मंत्री श्री सुरेन्द्र पटवा, सिंहस्थ केन्द्रीय समिति के अध्यक्ष श्री माखन सिंह, महापौर श्रीमती मीना जोनवाल, विधायक डॉ. मोहन यादव, नगर निगम सभापति श्री सोनू गेहलोत, उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री जगदीश अग्रवाल अन्य जन प्रतिनिधिगण एवं संबंधित अधिकारी मौजूद थे। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री की धर्मपत्नी श्रीमती साधना सिंह भी मौजूद थीं।

ख्यात नाम चित्रकारों एवं शिल्पकारों ने गढ़ा संग्रहालय

संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव श्री मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि त्रिवेणी संग्रहालय को उसकी मूल अवधारणा के साथ स्थापित करने में देश के विश्वख्याति प्राप्त आधुनिक एवं पारम्परिक चित्रकारों, शिल्पकारों, परिकल्पनाकारों और आकल्पकों की असाधारण भूमिका और योगदान रहा है। उन्होंने बताया त्रिवेणी संग्रहालय, भोपाल में संस्कृति विभाग द्वारा स्थापित जनजातीय संग्रहालय की ही तरह कला जगत का एक बड़ा स्वप्न है, इस कामना के साथ इसमें प्राण फूँकने का प्रयास किया गया है। जिससे यह देश-विदेश तक अपनी उत्कृष्टता के माध्यम से पहुँचे।

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