उत्तराखण्ड में लगी आग की आंच कानपुर तक पहुंची

कानपुर। उत्तराखण्ड के जंगलों में लगी आग की आंच शहर को भी प्रभावित करने लगी है। वहां लगी आग से शहर में चीड़ और सागौन की लकड़ी का कारोबार प्रभावित हुआ है। शहर से इन लकड़ियों की भारी मात्रा में सप्लाई आसपास के जनपदों को होती है।

वहीँ किराना में आने वाली जड़ी बूटियों के भी कारोबार पर असर पड़ा है। वहां से भारी मात्रा में दालचीनी, जायफल व नागसोर आदि शहर आता है। कोपरगंज टिम्बर उद्योग व्यापार मण्डल अध्यक्ष गुरजिंदर सिंह ने बताया कि उत्तराखण्ड से आने वाली सागौन लकड़ी से फर्नीचर तैयार किये जाते हैं। जुलाई में आने वाली सहालग के लिए फर्नीचर तैयार करने का काम तेजी से चल रहा है।

आग लगने के चलते इस कारोबार पर काफी परेशानी सामने आएगी। वहीँ चीड़ की लकड़ी के लिए मलेशिया से माँगकर मांग पूरी करनी होगी। जिसकी लागत भी ज्यादा आएगी। व्यापारियों के अनुसार प्रतिदिन शहर में 50 लाख से अधिक लकड़ी का कारोबार है। उन्होंने बताया कि भाव में कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि दिल्ली के रास्ते मलेशिया की लकड़ी भी बड़ी मात्रा में आती है। उत्तराखण्ड की लकड़ी में सागौन की कीमत करीब दो हजार रूपये फुट तक हैं जबकि चीड़ के दाम पांच सौ रूपये फुट हैं। मलेशिया से आई लकड़ी महंगी पड़ती है।

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