एनकाउंटर के बहाने याद आया 9 माह से फरार विजय यादव

 जबलपुर. शहर के गैंगस्टरों के लिए गोदी मीडिया बने कुछ मीडिया कर्मियों को गैंगस्टरों के गुर्गे यूहीं विलासिता की सामग्री मुहैया कराते रहे तो शायद वे भूल ही जायें की शहर में विजय यादव नाम का गुंडा एक गैंग भी चला रहा है. जिसने गोदी मीडिया को ही अपना गुलाम नहीं बना रखा बल्कि कुछ पुलिस अधिकारी और कर्मचारी नमक भले ही सरकारी खा रहे हों लेकिन उनका आलीशान घर और घर में रखे लक्जरी आइटम विजय की पर्ची से ही आये है. गोदी मीडिया के साथ गोदी पुलिस की इस बात की फ़िक्र नहीं की विजय की गैंग हर माह इस शहर से लाखों की वसूली कर रही है. सूत्रों की माने तो उन्हें फ़िक्र इसलिए भी नहीं है क्योंकि वे ये मानते हैं की विजय की गैंग यदि कमायेगी नहीं तो उनके सामने हर माह टुकड़े कौन फेंकेगा कौन उन्हें हवाई यात्रा कराएगा. डबल मर्डर के बाद फर्जी एनकाउंटर ने जिस नेता पुत्र और हिस्ट्री शीटर आकाश गावकर की जिक्र सामने आ रहा है ये दोनों पूर्व में विजय से जुड़े रहने के बाद अब अपना शहर में वर्चस्व की स्थापित करने की लड़ाई में जुटे है. एनकाउंटर में सामने आये वाहन का डबल मर्डर के आरोपियों के इस्तेमाल किये जाने की अपुष्ट जानकारिया सामने आने के बाद पुलिस को याद आ रहा है की 9 माह पहले विजय पुलिस को चकमा देकर भाग गया था. विजय का इनफॉर्मर कोचिंग संचालक हुआ था गिरफ्तार कांग्रेस नेता राजू मिश्रा और हिस्ट्रीशीटर कुक्कू पंजाबी की हत्या करने के बाद विजय यादव और उसके दो साथियों को गोरखपुर के एक कोचिंग संचालक ने अपनी कार से शहर के बाहर निकाला था. 13-14 जनवरी की दरमियानि रात पुलिस ने गोरखपुर निवासी कोचिंग संचालक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. इस मामले में विजय के एक और सहयोगी को भी हिरासत में लिया गया था. विजय के फाइनेंसर कौन पुलिस सूत्रों की माने तो कोचिंग संचालक के खिलाफ कार्रवाई के बाद जल्द ही कुक्कू और विजय यादव के उस फाइनेंसर पर शिकंजा कस सकता था जिसकी भूमिका को लेकर पहले ही दिन से संदेह बना हुआ था. पुलिस ने 4 दिसंबर 2016 की रात हत्या के घटनाक्रम से पहले और बाद की कड़ियों को जोड़कर कुछ महत्वपूर्ण सुराग जुटाए हैं. इन्हीं को आधार बनाकर पुलिस फाइनेंसर के साथ कुछ और लोगों को गिरफ्तार करने की तैयारी में थी लेकिन यह नहीं हो पाया. गोरखपुर टीआई इंद्रमणि पटेल के अनुसार 4 दिसंबर की रात चेरीताल में शूटआउट की घटना के बाद विजय यादव और उसके साथी अलग-अलग रास्तों से भागकर गोरखपुर पहुंचे थे. कोचिंग का संचालक और कथित तौर विजय का इनफॉर्मर गुंजन अधलेखा अपनी आईटेन कार से सभी को शहर से बाहर छोड़ने गया था. मोबाइल से लेता रहा विजय अपडेट पुलिस जांच में ये बात भी सामने आई है कि गुंजन अधलेखा के मोबाइल पर विजय यादव ने घटना के संबंध में कई बार अपडेट भी लिया. विजय को छोड़ने के बाद भीड़ में शामिल होकर गुंजन मेट्रो अस्पताल भी गया था, इसके अलावा तीन दिन तक उसने शहर के अखबारों और पुलिस की तैयारियों के संबंध में भी विजय को अपडेट दिया था. टीआई पटेल के अनुसार गुंजन को हत्या के आरोपियों का संरक्षण देने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था.

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