किसान महिलाएं चलाएंगी संसद, बनाएंगी बिल

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में 20 नवम्बर को होने वाली किसान संसद अनूठी होगी, इस संसद में देश की चुनी हुई 543 महिलाएं किसान को कर्ज मुक्त करने और लागत से डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने संबंधी बिल पास करेंगी। इस बिल को सभी राजनीतिक दलों को भी भेजा जायेगा तथा जिन पार्टियों की ओर से संसद में बिल के समर्थन में लिखित आश्वासन दिया जायेगा उनके एक सांसद प्रतिनिधि को किसान मुक्ति संसद को बिल पारित होने के बाद संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया जायेगा। ये सभी महिलाएं उन परिवारों की सदस्य होंगी, जिनमें किसी न किसी सदस्य ने आर्थिक बदहाली के चलते आत्महत्या कर ली है। ये महिला सदस्य देश के सामने अपनी बदहाली की गाथा भी सुनाएंगीं।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की बैठक में आज यह निर्णय लिया गया। यह बैठक दो दिन चली। बैठक में 20 राज्यों के 180 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। बैठक में तीन अन्य किसान मुक्ति यात्रा की रुपरेखा भी तैयार की गई। बैठक की जानकारी देते हुए किसान नेताओं ने बताया,कि आजाद भारत में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में किसान संगठन एक साथ आए हैं जिसमें देश के लगभग सभी राज्यों के किसान संगठन शामिल हैं।

20 नवम्बर को शुरु होने वाली किसान संसद लंबे समय तक चलने की संभावना है, जिसमें लाखों की संख्या में किसानों के हिस्सा लेने की संभावना है। समिति के संयोजक बी एम सिंह ने कहा, कि अभी तक जिन राज्य सरकारों ने किसानों के कर्ज माफी की बात कही है, वे किस तरह कर्ज माफ कर रहे हैं, सबके सामने है।

सांसद राजू शैट्टी ने कहा,कि सरकार के पास दो साल का समय है, उसने किसानों से जो वादे किए थे, वे पूरे करें। किसान सभा के नेता पी कृष्णप्रसाद ने कहा,कि यह एकता मुद्दों के आधार पर है. डा. सुनीलम ने मप्र के टीकमगढ़ मे किसानों के साथ पुलिस द्वारा किए गए दुर्व्यवहार के लिए पुलिस पर कार्रवाई करने की मांग की, वहीं योगेन्द्र यादव ने बताया, कि एक बार फिर खरीफ की फसल बाजार में आ गई है, और किसान को कहीं भी दाम नहीं मिल पा रहा, जिससे उनमें नाराजगी है

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