केन्द्रीय इस्पात एवं खान मंत्री श्री नरेन्द्र तोमर जी के 12 जून को जन्म दिवस पर विशेष

सहजता के आवरण में एक विलक्षण नेता

raju:- राजेन्द्र शुक्ल

            भारतीय जनता पार्टी की नई पीढ़ी के जिन वरिष्ठ नेताओं ने अपने सहज, सरल और सफल व्यक्तित्व व कृतित्व से गहरी छाप छोड़ी है उनमें से श्री नरेन्द्र सिंह तोमर का नाम अग्रगण्य है। सहजता के आवरण में ढंका हुआ उनका कुशाग्र राजनय उनके व्यक्तित्व का चुम्बकीय आकर्षण है। यहीं वजह है कि १९९८ से विधानसभा और फिर संसदीय पारी को आगे बढ़ाते हुए श्री तोमर प्रदेश के सत्ता संगठन से लेकर केन्द्रीय राजनीति तक अपरिहार्य हैं।

            यह सब कुछ उन्हें विरासत में नहीं मिला अपितु उन्होंने अपनी लकीर खुद खींची, अपनी लीक स्वयं तैयार की। राजनीति के इस दौर में जहां धैर्य लुप्तप्राय तत्व है वहीं यह तोमरजी की सबसे बड़ी पंूजी है। यही एक अद्भुत साम्य है जो श्री मोदी जी व श्री शिवराज सिंह जी के व्यक्तित्व से मेल कराता है। श्री तोमर की जड़ें राजनीति की जमीन पर गहराई तक हैं। वृस्तित जनाधार और लोकप्रियता की छांव उन्हें सहज, सरल, सौम्य और कुशाग्र बनाती है, यहीं उनके धैर्य और शक्ति-सामथ्र्य का आधार भी है। श्री तोमर पूर्णत: सांस्कारिक राजनेता है जिन्होंने अपने दायित्व को कभी बड़ा या छोटा करके नहीं नापा। विद्यार्थी परिषद की छात्र राजनीति से उनके सार्वजनिक जीवन का शुभारंभ हुआ। जिस तरह जैत की माटी में पल-बढक़र श्री शिवराज सिंह चौहान ने ग्रामीण जीवन के श्रम व संघर्ष को निकटता से देखा उसी तरह श्री तोमर ने भी मुरैना जिले के ओरेठी गांव की जमीनी हकीकत देखी और यहीं से तप कर निकले। राजनीति में शून्य से शिखर तक पहुंचने वाले गिनती के ही सहयात्री ऐसे हैं जो गांव-मोहल्ले की राजनीति से चलकर दिल्ली के राजपथ तक पहुंचे। श्री तोमर ने ग्वालियर नगर निगम की पार्षदी से चुनाव यात्रा शुरू की। वे तरूणाई में ही देश की मुख्य राजनीतिक धारा से जुड़ गए थे। आपातकाल के बाद १९७७ में जब केन्द्र व प्रदेश में जनता पार्टी की सरकार थी तब वे पार्टी के मण्डल अध्यक्ष बने। अपनी प्रभावी कार्यशैली और वक्तृत्व कला के जरिए व मोर्चे के प्रदेश भर के युवाओं के चहेते बन गए परिणामत: १९९६ में वे भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बने। मैंने श्री तोमर के आरंभ काल का जिक्र इसलिए किया ताकि पार्टी की नई पीढ़ी यह जाने और समझे कि यदि लगन, निष्ठा और समर्पण है तो उसके उत्कर्ष को कोई बाधा नहीं रोक सकती, श्री तोमर, उनका व्यक्तित्व व उनकी राजनीतिक यात्रा इसका एक आदर्श व जीवंत प्रमाण है।

            मुझे उनका स्नेह अनुजवत प्राप्त है यह मेरा सौभाग्य है। वे केन्द्र में इस्पात एवं खान मंत्री हैं इस नाते उनका प्रभावी मार्गदर्शन मुझे मिलता रहता है। उनके साथ देश के बाहर कई यात्राएं की है, सेमीनार, संगोष्ठी और कार्यशालाओं में साथ रहा। उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वे सब कुछ करने, परिणाम देने व समर्थ होने के बावजूद भी स्वयं श्रेय लेने पर विश्वास नहीं करते। वे अपनी उपलब्धियों को साझा करते हैं। ‘शौमैनशिप” उनमें दूर-दूर तक नहीं है। मुकुन्दपुर ह्वाइट टाइगर सफारी के सपने को साकार करने में उन्होंने आगे बढक़र जो सहयोग, परामर्श व मार्गदर्शन दिया वह मुझे चिरस्मरण रहेगा और ताउम्र उनका कृतज्ञ भी रहंूगा। ह्वाइट टाइगर सफारी के लिए सफेद बाघों की जरूरत थी। वन्य जीवों से जुड़ा यह ऐसा संवेदनशील मसला है कि इसका हल आसान नहीं। मुझे ध्यान आया कि भिलाई स्टील प्लांट के ‘मैत्री बाग” में सफेद बाघ हैं, श्री तोमर जी चाहें तो मामला सध सकता है। मैंने उनसे मुकुंदपुर ह्वाइट टाइगर सफारी, जिसे कि विश्व का एकमात्र व प्रथम होने का श्रेय है, की योजना के बारे में चर्चा की। उन्होंने बिना वक्त गंवाए न सिर्फ ‘मैत्री बाग” से दो सफेद बाघों की शिफ्टिंग की स्वीकृति दी अपितु यह भी कहा कि ”राजेन्द्र जी इसके अलावा भी मेरे लायक कुछ हो तो नि:संकोच कहना। श्री तोमर जी मेरे आग्रह पर 3 अप्रैल २०१६ को मुकुन्दपुर ह्वाइट टाइगर सफारी के लोकार्पण समारोह में पधारे व सार्वजनिक तौर पर मेरी हौंसला अफजाई की। “

            इस्पात व खान मंत्री के रूप में उनकी कार्यशैली, नवाचार व मूल्यवर्धित परिणाम देने की कला से मैं न सिर्फ प्रभावित हूं अपितु काफी कुछ सीखने की मेरी कोशिश भी रहती है। देश में खनन क्षेत्र को नया जीवन देने का बीड़ा इन्होंने उठाया व पहले ही दिन से उस दिशा में कार्यवाही शुरू कर दी। केन्द्र सरकार के खान मंत्रालय ने तोमरजी के नेतृत्व में खनन क्षेत्र में भारी ठहराव, अवैध खनन, पारदर्शिता की कमी और विनियमित ढ़ांचे की अपर्याप्तता की चुनौती से निपटने के लिए एमएमडीआर अधिनियम १९५७ में व्यापक संशोधन किए। इससे अब केवल नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से ही खनिज रियायतों का आवंटन हो सकेगा, विवेकाधिकार समाप्त  हो गया, पारदर्शिता बढ़ गई, खनिज मूल्य में सरकार का हिस्सा बढ़ गया और निजी निवेश तथा आधुनिक प्रौद्योगिकी को आकृष्ट करने में सफलता मिली। इसका तत्काल असर यह हुआ कि पिछले वर्ष के मुकाबले मुख्य खनिजों के उत्पादन में ९ प्रतिशत की वृद्धि हुई। इस्पात व खनिज मंत्री के रूप में श्री तोमर ने विभाग की गतिविधियों को जन सरोकार व लोकमंगल के साथ जोड़ा। प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना के अन्तर्गत खनन संबंधी प्रचालनों से प्रभावित जिलों के विकास और वहां के लोगों के कल्याण के लिए जिला खनिज प्रतिष्ठान की स्थापना का प्रावधान किया। खनन प्रभावित क्षेत्रों के विकास और जनता के कल्याण के लिए ६००० करोड़ रूपए प्रतिवर्ष खर्च किए जाएंगे। श्री तोमर के नेतृत्व में खनिज व इस्पात के क्षेत्र में कई नवाचार किए गए व इनके परिणाम सामने हैं। इस्पात क्षेत्र में वैश्विक मंदी के बावजूद वर्ष २०१५ के दौरान विश्व के प्रमुख इस्पात उत्पादक देशों में भारत ऐसा अकेला देश  रहा है जिसने पिछले साल के मुकाबले न केवल इस्पात उत्पादन में बल्कि खपत में भी वृद्धि दर्ज की हैं। जनवरी २०१५ में भारत ने अमेरिका को पछाडक़र इस्पात उत्पादन में विश्वस्तर पर तीसरा स्थान हासिल कर लिया है। देश में नए स्टील प्लांट लगाने की दिशा में भी श्री तोमर ने एक अभिनव प्रक्रिया का आगाज किया स्पेशल पर्पस ह्वीकल के माध्यम से स्टीलं कंपनियां राज्य सरकार और निजी संस्था मिलकर राज्यों में स्टील प्लांट लगाने पर काम शुरू करेंगी। श्री मोदी के नेतृत्व में दो वर्ष के कार्यकाल में देश में सभी क्षेत्रों में उपलब्धियां हासिल की हैं। लेकिन दो साल पूर्व तक घपलों, घोटालों, भ्रष्टाचार के लिए कुख्यात रहे खनन के क्षेत्र को श्री तोमर के वरदहस्त ने इसे सचमुच लोमंगलकारी प्रकृति का ऐसा वरदान बना दिया, जो देश की समृद्धि के पथ को प्रशस्त करने वाला है।

            श्री तोमर के नेतृत्व व प्रशासनिक क्षमता का लोहा तो विपक्ष की राजनीति करने वाले भी मानते है। मेरी अपनी दृष्टि से श्री तोमर नई पीढ़ी के कार्यकर्ताओं के लिए इसलिए भी अनुगम्य और प्रेरणादायी हैं कि इकाई स्तर से शिखर की राजनीति तक का सफर किस धैर्य व संयम के साथ किया जाता है। वे  एक पार्षद से विधायक, सांसद, मंत्री से केन्द्रीय मंत्री तक पहुंचे वहीं मंडल के अध्यक्ष के दायित्व से प्रदेश के अध्यक्ष, राष्ट्रीय महामंत्री बने। यह भारतीय जनता पार्टी में ही संभव है जहां कार्यकर्ता की क्षमता और निष्ठा का ईमानदारी से मूल्यांकन होता है। श्री तोमर इसकी जीती जागती मिसाल हैं। यह प्रदेश का सौभाग्य है कि उसे श्री तोमर व श्री चौहान की चर्चित युति का नेतृत्व मिला हुआ है। श्री तोमर के जन्मदिन पर उनके यशस्वी, ओजस्वी व तेजस्वी व्यक्तित्व के लिए हमारी मंगलकामना।

raju

लेखक – म.प्र. के जनसंपर्क, ऊर्जा एवं खनिज मंत्री हैं।

 

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