हाईकोर्ट ने नीतीश के शराबबंदी को रद्द कर दिया है. जिसके बाद से नीतीश की चारों तरफ से आलोचनाए हो रही है. अदालत ने अपने फैसले में इस कानून को किसी तरह से संवैधानिक नही ठहराया है, जिसके बाद से अप्रैल से लागू हुई शराबबंदी कानून को रद्द कर दिया है. सरकार के तरफ से दी गई दलीलों पर कोर्ट ने कहा कि मुनाफा कमाने के लिए कोई भी कंपनी अपना कारोबार लगाती है, न कि परोपकार के लिए.
जो लोग उद्योग में काम कर रहे थें उनसे नौकरी चीन गई उसका मुआवजा कौन देगा.
सरकार ने इसके लिए कदम नही उठाया. ये भी नही सोचा कि ये लोग कहां जायेंगे. अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार ने विदेशी शराब व बियर पीने के बजाए ताड़ी पीने की छूट सरकार ने दी है, जो अपने आप में गैरकानूनी कार्रवाई है.
कोर्ट ने यह भी कहा कि कोई व्यक्ति शराब की बोतल लेकर बिहार के रास्ते दूसरे राज्य में जा रहा है तो उसे भी पकड़ा जा रहा है. जबकि सरकार की अधिसूचना में ऐसा कुछ नहीं कहा गया है. इस कारण भी अधिसूचना निरस्त होने लायक है. हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद शराबबंदी के पक्ष में नीतीश सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती है.
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