कोलकाता HC के पूर्व जस्टिस कर्नन कोयंबटूर से गिरफ्तार

कोलकाता। कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व जज सीएस कर्नन को सीआइडी की टीम ने मंगलवार को तमिलनाडु के कोयंबटूर से गिरफ्तार कर लिया।

गत नौ मई को उन्हें गिरफ्तार करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के 42 दिनों बाद उन्हें पकड़ने में पश्चिम बंगाल सीआइडी को सफलता मिली है। उन्हें बुधवार को ट्रांजिट रिमांड पर कोलकाता लाया जाएगा।

सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि उन्हें प्रेसिडेंसी जेल में रखा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार उन्हें छह महीने जेल में ही गुजारने होंगे।

उल्लेखनीय है कि गत नौ मई को अदालत की अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट के सात जजों की बेंच ने उन्हें छह महीने जेल की सजा सुनाई थी।

कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया था कि उन्हें गिरफ्तार किया जाए। हालांकि फैसले के बाद पता चला कि कलकत्ता हाई कोर्ट के तत्कालीन कार्यरत न्यायाधीश कर्नन कोलकाता छोड़ चुके हैं।

उनके सुरक्षा अधिकारियों को भी इस बात की जानकारी नहीं थी। बाद में पता चला कि वे सपरिवार चेन्नई में हैं।

इसके बाद पश्चिम बंगाल पुलिस की एक टीम कर्नन की तलाश में कोलकाता पुलिस महानिरीक्षक (होमगार्ड) राज कनौजिया के नेतृत्व में चेन्नई गई थी।

उन्होंने बताया है कि उनके पैतृक गांव कर्णथम में भी किसी ने उनके बारे में पुख्ता जानकारी नहीं दी थी। पुलिस की कोशिश के बाद जब कर्नन का कोई पता नहीं चला तो गत 11 जून को उनके रिटायरमेंट से ठीक एक दिन पहले सीआइडी की टीम उन्हें पकड़ने के लिए चेन्नई रवाना हुई थी।

इस बीच 12 जून को वे कलकत्ता हाई कोर्ट से न्यायाधीश के रूप में रिटायर हुए। अब रिटायरमेंट के करीब एक सप्ताह बाद सीआइडी उन्हें पकड़ने में सफल हो सकी है।

सुप्रीम कोर्ट के जजों पर लगाया था भ्रष्टाचार का आरोप

जस्टिस कर्नन ने अपने ट्रांसफर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। वहां से सकारात्मक फैसला नहीं मिलने पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कार्यरत और कुछ अवकाश प्राप्त जजों पर भ्रष्टाचार का आरोप मढ़ा था।

जस्टिस कर्नन ने इसी वर्ष 23 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में सुप्रीम कोर्ट और मद्रास हाई कोर्ट के जजों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे।

कर्नन ने इस चिट्ठी में 20 जजों के नाम लिखते हुए उनके खिलाफ जांच की मांग की थी। इस पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उनके इस रवैये के खिलाफ सुनवाई की व न्यायिक प्रक्रिया के परे मीडिया के जरिये बात रखने और जजों पर आरोप का स्पष्टीकरण मांगा।

सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का नोटिस जारी कर उन्हें सात जजों की बेंच के सामने पेश होने को कहा और उनके सारे प्रशासनिक अधिकार छीन लिए। हालांकि वे लगातार फैसले को नजरअंदाज करते रहे।

इसके बाद नौ मई को न्यायिक इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ, जब हाई कोर्ट के किसी कार्यरत जज को अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट में पेश होने को कहा गया।

इसके बाद वे कोलकाता से नदारद हो गए, हालांकि इस बीच उनके वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर उनके लिए बिना शर्त माफी मांगते हुए उनकी सजा वापस करने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इसे ठुकरा दिया था।

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