क्‍यों जरूरी हैं गर्मियों में धूप का चश्‍मा लगाना

आंखें अनमोल होती हैं और बहुत संवेदनशील भी होती हैं, तेज धूप की वजह से आंखों पर पड़ने वाली अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन इनको नुकसान पहुंचा सकता है, इससे बचने के लिए अच्‍छी गुणवत्‍ता वाले धूप के चश्मे का इस्तेमाल करना जरूरी है।

गर्मियों में धूप का चश्‍मा लगाना चाहिए

सर्दियों की तुलना में गर्मी में यूवी रेडिएशन तीन गुना ज्यादा होता है। इसलिए गर्मियां शुरू होते ही धूप के चश्मे की जरूरत महसूस होने लगती है। तेज धूप में अल्ट्रावॉयलेट किरणें आंखों पर असर डालती हैं। ऐसे में आंखों को सूरज की तेज रोशनी और खतरनाक यूवी किरणों के कारण होने वाली परेशानी से बचाने के लिए सनग्‍लास को उपयोगी माना जाता है। लेकिन कई लोग कड़ी धूप में यूं ही निकल जाते हैं और चिलचिलाती धूप में आंखों पर बिना चश्मा चढ़ाये बाहर जाने पर आंखों में जलन, पानी गिरना, सिर चकराना, जी मिचलाना जैसी शिकायतें होने लगती हैं। धूप का चश्‍मा ना केवल फैशन के तौर पर ट्रेंडी होते हैं बल्‍कि इन्‍हें आंखों के स्‍वास्‍थ्‍य की दृष्‍टी से भी महत्‍वपूर्ण माना जाता है।

आइये जानें कि गर्मियों में धूप का चश्‍मा लगाना क्‍यों जरूरी है।

 

मॉडल फ़ोटो .  मोहम्मद फ़ुरक़ान

रेटिना को बचाये

धूप का चश्‍मा सूरज से निकलने वाली घातक यूवी किरणों से आंखों की रेटीना को बचाने का काम करता है। तेज धूप के कारण आंखों की रोशनी पर प्रतिकूल असर पडऩे के साथ ही धूल के कण रेटिना को नुकसान पहुंचा सकते हैं। धूप के चश्मे का इस्तेमाल कर आंखों को सुरक्षित रखा जाता है। इसलिए जब भी घर से बाहर जाये तो अपनी आंखों की सुरक्षा के लिए इसे लगाना न भूलें।

मॉडल फ़ोटो .  मोहम्मद फ़ुरक़ान

कॉर्निया को सुरक्षित रखे

तेज धूप में निकलने पर सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणों से आंखों के ऊपर बनी टीयर सेल यानी आंसूओं की परत टूटने या क्षतिग्रस्त होने लगती है। और यह कॉर्निया के लिए हानिकारक हो सकता है। यानी आंखों के कॉर्निया को भी यूवी किरणों से उतना ही नुकसान पहुंचता है जितना कि रेटीना को। लेकिन धूप में जाते समय काला चश्‍मा पहनने से आप इस समस्‍या बच सकते हैं।

 

 

 

 

 

 

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