चारा घोटाला : सीबीआई गवाह ने कहा, बिहार भवन में दिए गए थे चारा घोटाले के 10 लाख

पशुपालन घोटाला में सीबीआई के गवाह डा. शशि कुमार सिंह ने सीबीआई कोर्ट में गवाही देते हुए कहा कि वर्ष 1992 में दिल्ली के बिहार भवन में लालू प्रसाद यादव को दस लाख रुपये दिए थे। उस समय मेरे साथ पशुपालन विभाग के तत्कालीन संयुक्त निदेशक डा. श्याम बिहारी सिन्हा, दीपेश चांडक और डा. आरके राणा भी थे।
सीबीआई गवाह डा. शशि कुमार सिंह उस समय पशुपालन विभाग में सहायक परियोजना पदाधिकारी थे। शुक्रवार को पटना सीबीआई कोर्ट के विशेष न्यायाधीश देवराज त्रिपाठी की अदालत में गवाही देते हुए कई अहम बातों का खुलासा किया। सीबीआई के वकील आरएन सिंह ने भागलपुर कोषागार से जुड़े मामले में गवाही करायी। गवाही देते हुए डॉ. शशि ने कहा कि चारा घोटाला का पैसा कई नौकरशाहों और राजनेताओं को मिलते थे। पैसा श्याम बिहारी सिन्हा के जरिए दिया जाता था। अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए पैसे दिए जाते थे। किस्तों में पैसे दिए गए। इस दौरान कई बार मैं साथ रहता था, चूंकि डॉ सिन्हा डायबिटीज के मरीज थे।
लालू प्रसाद के एक रिश्तेदार मुकुल नामक व्यक्ति को भी तीन-चार बार पैसे दिए गए थे। इसके अलावा पशुपालन विभाग रांची तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की बहाली भी लालू के कहने पर हुई थी। नौकरशाह बेक जुलियस को वेटनरी कॉलेज के आवास पर ब्रीफकेस में पैसा दिया गया था।
गवाह ने यह भी खुलासा किया कि फर्जी विपत्र रांची में तैयार होता था और उस पर आय -व्यय पदाधिकारी ब्रजभूषण हस्ताक्षर करते थे। श्याम बिहारी सिन्हा के कहने पर ही दवा आपूर्तिकर्ता के नाम तय होते थे। फर्जी आपूर्तिकर्ताओं को श्याम बिहारी सिन्हा के खास त्रिपुरारी मोहन प्रसाद रांची में, मो सईद कोलकाता में, दीपेश चांडक दिल्ली तो विजय मल्लिक और एमएस वेदी भी आपूर्तिकर्ताओं को बहाल करते थे।
डॉ. श्याम बिहारी सिन्हा ही लालू प्रसाद यादव, राधानंदन झा, जगदीश शर्मा, लोकलेखा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष रामजतन सिन्हा, भोला राम तुफानी, विद्यासागर निषाद और डा. आरके राणा को पैसा देते थे। कई बार मैं भी लालू आवास पर गया। तत्कालीन पशुपालन मंत्री चन्द्रदेव प्रसाद वर्मा को भी समय-समय पर पैसा दिया जाता था।

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