छठ पूजा: खरना से दूर होंगे शनिदोष, होगी महालक्ष्मी की कृपा

 

लोक आस्था और सूर्योपासना के महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान नहाय-खाय शुक्रवार से शुरू हो गया है। ज्योतिषों की मानें तो इस बार व्रतियों पर महालक्ष्मी की कृपा बरसेगी और शनिवार को खरना होने से शनि दोष भी दूर होंगे।
रविवार की शाम 6 नवंबर को भगवान भाष्कर को पहला सायंकालीन अर्घ्य दिया जाएगा। खरना के बाद छठवर्ती 36 घंटे तक निर्जलाव्रत रखेंगे।
छठ महापर्व
नहाय-खाय : शुक्रवार 4 नवंबर,खरना
(लोहंडा): शनिवार 5 नवंबर,
सायंकालीन अर्घ्य-रविवार 6 नवंबर,
प्रात:कालीन अर्घ्य: सोमवार 7 नवंबर
सूर्य षष्ठी का पहला अर्घ्य रविवार को, सोमवार को दूसरा
काशी और मिथिला पंचांगों के हवाले से आचार्य प्रियेन्दु प्रियदर्शी ने बताया कि कार्तिक शुक्ल षष्ठी शनिवार की सुबह 11.54 बजे से रविवार की दोपहर 1 बजे तक है।
उदया तिथि रहने से रविवार को ही भाष्कर भगवान को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। सप्तमी तिथि सोमवार 7 नवंबर की दोपहर 2.37 बजे तक है।
भगवान भाष्कर को अर्घ्य का समय: रविवार को अर्घ्य सूर्यास्त और सोमवार को सूर्योदय के समय दिया जाएगा। सायंकालीन अर्घ्य का समय : शाम करीब 5.10 बजे
प्रात: कालीन अर्घ्य का समय : प्रात: करीब 6.13 बजे
छठ पर ग्रहों की स्थिति
सूर्य, बुध -तुला में होंगे। शुक्र व शनि-वृश्चिक में, मंगल और चंद्रमा -मकर में, केतु-कुंभ में, राहू-सिंह में और गुरु कन्या राशि में होंगे।
बारह वर्षों के बाद छठ में बना सूर्य आनंद योग
कार्तिक शुक्ल षष्ठी पर ग्रह-गोचरों का विशेष संयोग बन रहा है। आचार्य प्रियेन्दु प्रियदर्शी के अनुसार पहला अर्घ्य रविवार को है। इस दिन चंद्रमा के गोचर में रहने से सूर्य आनंद योग का संयोग बनेगा। यह खास संयोग लगभग 12 वर्षों के बाद बना है। इससे लंबे समय से बीमार चल रहे व्यक्ति का स्वास्थ्य बेहतर और संतान की प्राप्ति होगी।
महालक्ष्मी की कृपा बरसेगी
आचार्य पीके युग के अनुसार छठ महापर्व पर चंद्रमा और मंगल के एक साथ मकर राशि में रहने से महालक्ष्मी की भी कृपा व्रतियों पर बरसेगी। चंद्रमा से केन्द्र में रहकर मंगल के उच्च होने, स्वराशि में होने से रूचक योग षष्ठी -सप्तमी को बनेगा।
शनिवार को खरना से दूर होंगे शनि दोष
आचार्य बैद्यनाथा झा शास्त्री के अनुसार शनिवार को खरना होने से शनि की साढ़े साती से पीड़ित व्यक्ति को विशेष लाभ और अन्य शनि दोषों से भी मुक्ति मिलेगी।
आरोग्य की प्राप्ति व संतान के लिए व्रत
आचार्य विपेन्द्र झा माधव के अनुसार सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्य की प्राप्ति, सौभाग्य व संतान के लिए रखा जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार राजा प्रियव्रत ने भी यह व्रत रखा था। उन्होंने कुष्ठ रोग से मुक्ति के लिए छठ व्रत किया था।

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