छत्तीसगढ़ : फ़र्ज़ी मुठभेड़ में ‘सुरक्षा बलों’ ने तीन किसान और एक नाबालिग़ लड़की को मार दिया-दो महिलाओं के साथ किया सामूहिक बलात्कार

नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के तीन गांवों में सुरक्षा बलों के फर्जी मुठभेड़ करने और आदिवासी महिलाओं से सामूहिक बलात्कार की वारदात की जानकारी मिली है। दिल्ली में प्रेस वार्ता के दौरान जनवरी में छत्तीसगढ़ का दौरा करने गए कुछ कार्यकर्ताओं ने एक स्वतंत्र जांच पर आधारित रिपोर्ट जारी की।
इसमें दावा किया गया कि बीजापुर ज़िले के पैद्दाजोजेर गांव में एक फ़र्ज़ी मुठभेड़ में तीन किसान और एक नाबालिग़ लड़की को मार दिया गया। रिपोर्ट के मुताबिक़ जनवरी में ही सुरक्षा बलों ने बीजापुर के नेन्द्रा गांव में 16 और सुकमा ज़िले के कुन्ना गांव में दो महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार किया।
रिपोर्ट में दिए गए बयानों में महिलाओं ने बलात्कार के अलावा लूटमार और धमकियों के बारे में भी बताया है, ”उन्होंने कहा कि तुम नक्सलियों को खाना दोगे तो हम तुम्हारे घर जला देंगे, शुक्र करो दिन का समय है, रात होती तो तुम्हें जान से मार देते।”
बीबीसी के संपर्क करने पर सुकमा के एसपी डी श्रवण ने कहा, ”हमने एफ़आईआर दर्ज कर ली है और कार्रवाई चल रही है, एफ़आईआर दर्ज होने में देरी पर हम कुछ टिप्पणी नहीं देंगे। हम अंतर्राष्ट्रीय मीडिया से और कुछ नहीं कहना चाहते।
‘स्टेट ऑफ़ सीज़’ नाम की यह रिपोर्ट ‘वुमेन अगेन्स्ट सेक्सुअल वॉयलेंस एंड स्टेट रिप्रेशन’, ‘कमेटी फ़ॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ डेमोक्रैटिक राइट्स’ और ‘कोऑर्डिनेशन ऑफ डेमोक्रैटिक राइट्स ऑर्गनाइज़ेशन’ की ओर से जारी की गई है।
आदिवासी महिलाओं की शिकायत दर्ज करवाने वाली वकील ईशा खंडेलवाल ने बताया कि सुरक्षा बलों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करवाने में बहुत दिक्‍कतें पेश आईं।
उन्होंने कहा, ”दोनों गांवों की महिलाओं की एफआईआर दर्ज होने में 10 दिन से दो हफ़्ते का समय लग गया और यह भी तब हुआ जब इलाके के कलक्टर ने पुलिस को निर्देश दिया और पिछले साल के एक मामले की पड़ताल करने आई हुई राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम ने दबाव बनाया।”
ईशा के मुताबिक़ पिछले तीन महीनों में इस मामले में सीआरपीएफ़ और पुलिस के उन सुरक्षाकर्मियों से कोई पूछताछ नहीं हुई, जिन पर महिलाओं ने आरोप लगाए हैं। एसपी श्रवण ने इन आरोपों पर बीबीसी को कोई जवाब देने से मना कर दिया, पेद्दाजोजेर गांव में कथित फर्ज़ी मुठभेड़ में कोई एफ़आईआर दर्ज नहीं हुई है।
पिछले दो महीनों में वकीलों ईशा खंडेलवाल, शालिनी गेरा समेत पत्रकार मालिनी सुब्रह्मण्यम और आंदोलनकारी बेला भाटिया ने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ पुलिस और उनके समर्थन से काम कर रहे संगठनों की प्रताड़ना से तंग आकर उन्हें बस्तर छोड़ना पड़ा है।
दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर नंदिनी सुंदर ने इन घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि पूरे राज्य में डर का माहौल कायम किया जा रहा है। प्रोफ़ेसर सुंदर के मुताबिक, ”इसके साथ ही पिछले महीनों से फर्ज़ी मुठभेड़, लूट और महिलाओं के ख़िलाफ़ यौन हिंसा की घटनाओं में तेज़ी से उछाल आया है और यह दक्षिण छत्तीसगढ़ के उन्हीं इलाक़ों में देखा गया है, जहां सलवा जूडूम सक्रिय था।”
रिपोर्ट के मुताबिक़ साल 2015 में 162 मुठभेड़ों में 43 लोग मारे गए थे जबकि अक्तूबर 2015 से फरवरी 2016 में मुठभेड़ों में मारे गए लोगों की संख्या 31 है। कई कोशिशों के बाद भी बीजापुर के एसपी से संपर्क नहीं हो पाया।

Be the first to comment on "छत्तीसगढ़ : फ़र्ज़ी मुठभेड़ में ‘सुरक्षा बलों’ ने तीन किसान और एक नाबालिग़ लड़की को मार दिया-दो महिलाओं के साथ किया सामूहिक बलात्कार"

Leave a comment

Your email address will not be published.


*


error: Content is protected !!