भोपाल। राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) द्वारा इंजीनियरिंग में दिए गए हिन्दी मीडियम के आॅप्शन को 75 फीसदी स्टूडेंट ने पसंद नहीं किया है। आरजीपीवी में प्रथम सेमेस्टर में प्रवेश लेने वाले 27 हजार विद्यार्थियों में से सिर्फ सात हजार विद्यार्थियों ने ही हिंदी में इंजीनियरिंग करने का निर्णय लिया है। इंजीनियरिंग के प्रथम और तृतीय सेमेस्टर और एमई, एमटेक की परीक्षाएं सोमवार से शुरू हो गई हैं। तकनीकी शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी पिछले तीन सालों से हिन्दी में इंजीनियरिंग कराने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन, माध्यमिक शिक्षा मंडल के माध्यम से हिन्दी में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों ने भी अंग्रेजी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने का निर्णय लिया है। इसमें शिक्षाविदों द्वारा दोनों प्रकार की संभावनाएं जताई जा रही है। उनका कहना है कि संभवत: विद्यार्थियों तक हिन्दी मीडियम से इंजीनियरिंग की जानकारी नहीं मिल पाई है या फिर विद्यार्थियों ने हिंदी में इंजीनियरिंग को नकार दिया है। इंजीनियरिंग में करीब 27 हजार विद्यार्थियों की नामांकन जमा किए, जिसमें से सात हजार विद्यार्थियों ने हिंदी में पेपर देकर डिग्री पूरी करने का निर्णय लिया है।
बीई के प्रथम सेमेस्टर और तीसरे सेमेस्टर की परीक्षाओं का समय सुबह दस से दोपहर एक बजे तक का रखा गया। आरजीपीवी ने हिंदी और अंग्रेजी माध्यम से परीक्षा कराने पेपर भेज थे। उनके साथ तीसरे सेमेस्टर के 30 हजार विद्यार्थी भी परीक्षा दे रहे हैं। सोमवार से ही एमई, एमटेक, एमफार्मा, एमएएम, एमबीए इंटीग्रेडिट, एमसीए ड्योल डिग्री, बीई पार्ट टाइम और एमटेक पार्ट टाइम की परीक्षाएं शुरू हुई हैं।
ये परीक्षा करीब नौ हजार विद्यार्थियों की थी, जिनका समय दोपहर दो से शाम पांच बजे तक का रखा गया है।
तीन हजार विद्यार्थी अगले साल देंगे परीक्षा
डीटीई की काउंसलिंग में करीब 31 हजार विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया था। इसमें से करीब 27 हजार विद्यार्थियों ने अपना नामांकन आरजीपीवी में परीक्षा फार्म के साथ जमा किया था। इसमें तीन हजार विद्यार्थियों ने प्रवेश तो लिया, लेकिन परीक्षा में भागीदारी करने नामांकन और परीक्षा फार्म जमा नहीं किया।
अब उन्हें अगले साल नामांकन का मौका दिया जाएगा।
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