आमतौर पर अगर आपका कोई जानने वाला जेएनयू में रिसर्च स्कॉलर है तो आप उम्मीद करते हैं कि वो आगे चलकर शिक्षा की दिशा में कुछ बड़ा करने की सोचता होगा लेकिन, 30 वर्षीय अमृत आनंद ऐसा नहीं सोचते। यही कारण है कि जेएनयू से पढ़ाई करने के दौरान उन्होंने वापस अपने गांव जाने की सोची और उनका सपना था कि वो अपने गांव का मुखिया बनें।गांव में सरपंच का चुनाव आते ही उन्होंने अपने सपने को साकार करने का फैसला किया और मैदान में उतर पड़े। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक अमृत जेएनयू में जर्मन लिटरेचर की पढ़ाई कर रहे थे।
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जब वो अपने गांव में वापस गए और चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल करने लगे तो उनके दोस्त उन पर हंसने लगे। दोस्तों ने उनसे पूछा भी कि आखिर चुनाव छोड़कर गांव वापस आने की क्या जरुरत थी।
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