देश के अन्य राज्यों में भी किसान विद्रोह की चिंगारी, 16 जून को नेशनल हाईवे जाम करेंगे

नई दिल्ली. मध्यप्रदेश से शुरू हुआ किसानों के विद्रोह की आग धीरे-धीरे राज्यों में फैलता जा रहा है. किसानों ने 16 जून को देशभर के नेशनल हाईवे बंद करने का निर्णय लिया है. शनिवार को दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में हुई किसान बैठक में यह निर्णय लिया गया. उधर  मध्यप्रदेश में किसानों का विरोध प्रदर्शन हिंसक बना हुआ है. प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद हालात बेकाबू ही बताए जा रहे हैं. इस बीच, महाराष्ट्र से खबर है कि वहां भी सरकार और किसानों के बीच किसी तरह की सहमति नहीं बन पाई है. अब आशंका जताई गई है कि किसान 13 जून से रेल पटरियों पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे. इससे रेल सेवा बाधित होने का खतरा पैदा हो गया है. मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन के दौरान गोलीबारी के खिलाफ राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ की बैठक में देश के अलग-अलग हिस्सों से किसान नेताओं ने भाग लिया. बाद में पत्रकारों को बैठक के निर्णयों की जानकारी देते हुए संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा कक्काजी ने बताया कि यहां पर सभी नेताओं ने एकमत से मध्य प्रदेश सरकार को बर्खास्त करने और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है. उन्होंने बताया 16 जून को देश के सभी राष्ट्रीय राजमार्ग बंद करने का प्रस्ताव पारित किया गया है. बंद दोपहर 12 बजे से तीन बजे तक किया जाएगा. इसके साथ ही 11 जून से सभी प्रांतों में केंद्र व राज्य सरकार के खिलाफ काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन किया जाएगा. किसानों को न्याय दिलाने के लिए केंद्र सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग की जाएगी. बैठक में किसानों की कर्ज माफी और फसल के लागत मूल्य से 50 प्रतिशत अधिक मूल्य देने पर भी चर्चा की गई. इस बाबत एक मांगपत्र प्रधानमंत्री को भी भेजा गया है. भारतीय किसान यूनियन, हरियाणा के गुरनाम सिंह ने कहा कि किसान अब दवा व कर्ज से आत्महत्या नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले भाजपा सरकार ने वादा किया था कि हम स्वामीनाथन आयोग रिपोर्ट लागू करेंगे, लेकिन अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं किया गया. मध्य प्रदेश के किसानों की लड़ाई में पूरा देश उनके साथ है. यहां मौजूद सभी किसान नेताओं ने एक स्वर में इन फैसलों का समर्थन किया और देशभर में आंदोलन करने पर सहमति जताई. बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी में कांग्रेस कांग्रेस ने देशभर में उभर रही किसानों के असंतोष की मुखर आवाजों को अब अपने राजनीतिक एजेंडे में सबसे ऊपर रखने की रणनीति बना ली है. मध्य प्रदेश के मंदसौर में पुलिस फायरिंग के बाद दूसरे राज्यों में किसानों के गुस्से और असंतोष को देखते हुए पार्टी किसानों की मांग का नैतिक ही नहीं राजनीतिक समर्थन भी करेगी. किसानों की बदहाली के मसले की आंच ठंडी नहीं हो इसके लिए कांग्रेस देशव्यापी राजनीतिक कार्यक्रम की रूपरेखा भी बना रही है. किसानों की बदहाली के मुद्दे के साथ कांग्रेस अपने राजनीतिक कार्यक्रम में युवाओं को नौकरी नहीं मिलने को दूसरे अहम एजेंडे के रूप में भी शामिल करेगी. सूत्रों के अनुसार मंदसौर पुलिस फायरिंग में मारे गए किसानों के परिजनों से मिलकर लौटे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मसले पर पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं से मशविरा किया है. इसमें पार्टी नेताओं ने एक सुर से यही राय दी कि किसानों के मुद्दे पर राहुल संप्रग सरकार के समय से ही संजीदा रहे हैं, इसलिए कांग्रेस और राहुल दोनों को पूरे देश में किसानों के मुद्दे को न केवल उठाने की जरूरत है बल्कि सड़क पर आने के लिए भी तैयार रहना होगा. कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी के बयान से भी पार्टी की इस रणनीति का अंदाजा लगाया जा सकता है. सिंघवी ने मंदसौर के किसानों से मिलने जाने के राहुल के फैसले पर सवाल उठाने वाले केंद्र सरकार के मंत्रियों के रुख की आलोचना करते हुए कहा कि किसानों की बदहाली दूर करने और देशभर में उनके हक की आवाज उठाने में कांग्रेस व उसका नेतृत्व कोई कसर नहीं छोड़ेगा. पार्टी रणनीतिकारों ने हाईकमान को यह भी सलाह दी है कि शहरी मध्यवर्ग और युवाओं के समर्थन की वजह से लोकप्रियता की गाड़ी पर सवार मोदी सरकार के सामने तीन साल में पहली बार देश के सबसे बड़े समूह किसानों का स्पीड ब्रेकर दिखाई दे रहा है, इसलिए कांग्रेस और राहुल दोनों को किसी भी हाल में इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहिए. इस लिहाज से किसानों के बीच राहुल के कार्यक्रम और दौरे आने वाले दिनों में बढ़ेंगे. महाराष्ट्र: शांत नहीं हुए किसान, 13 जून से रोकेंगे रेल महाराष्ट्र में गुरुवार को नासिक में 21 सदस्यीय समन्वय समिति की बैठक हुई. इस समिति में प्रदेश के बड़े किसान नेता और कृषि विशेषज्ञ शामिल हैं. बैठक के बाद इन नेताओं की ओर से धमकी दी गई है कि सरकार ने मांगे नहीं मानीं तो 12 जून को कलेक्टर और तहसीलदारों के कार्यालयों के बाहर प्रदर्शन किया जाएगा और 13 जून से रेलें रोकी जाएंगी. मालूम हो, महाराष्ट्र में किसान सम्पूर्ण कर्जमाफी की मांग को लेकर 1 जून से हड़ताल पर हैं. सियासत तेज, शिवसेना ने साधा भाजपा पर निशाना महाराष्ट्र में भी किसान आंदोलन पर सियासत तेज हो गई है. शिवसेना के मंत्रियों ने राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में हिस्सा नहीं लिया. वहीं शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इस बयान पर निशाना साधा है कि वे सिर्फ असली किसान नेताओं के साथ बातचीत करेंगे. पार्टी मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा गया है, ये किसान कौन हैं? क्या आपके मंत्रालय में कोई असली किसान है? हालांकि मुख्यमंत्री फडणवीस घोषणा कर चुके हैं कि 31 अक्टूबर से पहले का कर्ज माफ कर दिया जाएगा. प्रदर्शन के दौरान 4 किसानों ने की आत्महत्या इस बीच, प्रदेश में किसानों की खुदकुशी का सिलसिला जारी है. किसानों की हड़ताल के बाद से अब तक 4 किसान खुदकुशी कर चुके हैं. इनमें दो नासिक के हैं तो एक-एक बीड और अकोला से हैं.

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