दोनों सत्र में समान फीस की मांग को लेकर होम्योपैथी स्टूडेंट्स ने दिया

भोपाल। होम्योपैथी के 55 छात्र-छात्राएं द्वारा पीजी होम्योपैथी स्नात्कोत्तर पाठ्यक्रम प्रवेश परीक्षा 2016 पास करने के बाद शासकीय होम्योपैथी चिकित्सा महाविद्यालय एवं चिकित्सालय भोपाल में पीजी पाठ्यक्रम के लिए एडमिशन लिया था। एडमिशन के 8 महीने बाद फीस का गलत निर्धारण एवं स्टायफंड का अभी तक निर्धारण नहीं हो पाने से छात्र-छात्राएं धरने पर कॉलेज परिसर में बैठे हुए हैं।

होम्योपैथी छात्र प्रशांत सिंह ने आज गुरुवार को आयोजित एक पत्रकार वार्ता में बताया कि आयुष विभाग में होम्योपैथी एवं आयुर्वेदा में एमडी प्रमुख धारा में है। पीजी आयुष की सभी पैथी जैसे आयुर्वेद और होम्योपैथी पीजी में फीसों के मापदंड समतुल्य रहते हैं। छात्रों द्वारा यही विरोध किया जा रहा है कि सत्र 2016-17 की आयुर्वेद एमडी की फीस 1 लाख 11 हजार 8 सौ 35 रुपए और सत्र 2016-17 होम्योपैथी एमडी की फीस 2 लाख 56 हजार है। छात्र-छात्राओं की मांग है कि दोनों पैथियों की फीस समान होनी चाहिए।

प्रशांत सिंह का कहना है कि देश के अन्य राज्यों के किसी भी सरकारी होम्योपैथी संस्थानों में इतनी बड़ी हुई फीस नहीं है। जब अन्य राज्यों में डॉक्टरों को उनका उचित मेहनताना दिया जा रहा, तो सिर्फ मध्यप्रदेश में इतनी ज्यादा फीस वसूलना शासन की नीतियों में प्रश्न चिन्ह करता है।

प्रशांत सिंह का कहना है कि छात्र एडमिशन के 1 माह बाद से इसके निराकरण में लगे हुए है। इस संबंध में छात्र-छात्राओं द्वारा महाविद्यालय के प्राचार्य समेत विभागीय आला अधिकारियों और मंत्री तक को ज्ञापन सौंपा जा चुका है। इस बीच  शासन द्वारा प्रस्तावित फीस का छात्रों द्वारा पता किया गया, तो फीस स्ट्रक्चर साढ़े 4 लाख से 5 लाख तक प्रस्तावित होने का चल रहा था।

इस संदर्भ में हम सभी छात्र-छात्राओं द्वारा गंभीरता से विचार किया गया तो एडमिशन के बाद इतनी बढ़ी हुई फीस का प्रस्ताव छात्रों के साथ छल था। जब इस संबंध में छात्रों ने आवाज उठाई तो शासन द्वारा कहा गया कि यह अभी सिर्फ प्रस्ताव है, जिस पर विचार चल रहा है। इसे अभी निर्धारित नहीं किया गया। शासन द्वारा यह भी कहा गया था कि आप सभी के साथ न्यायसंगत निर्णय लिया जाएगा। आश्वासन के बाद छात्र अपने हॉस्पिटल के काम में पुन: जुट गए।

प्रशांत सिंह का कहना है कि इस दौरान छात्र-छात्राओं द्वारा स्टायफंड व फीस निर्धारण का इंतजार किया जाता रहा, लेकिन पांच महीने में जब फीस और स्टायफंड का निर्धारण नहीं हो सका। इसके बाद छात्रों द्वारा 6 मई 2017 को एक दिवसीय हड़ताल की गई।

हड़ताल की जानकारी मिलते ही आयुक्त शिखा दुबे ने छात्रों के प्रतिनिधि मंडल से चर्चा की थी। इस दौरान आयुक्त शिखा दुबे ने भरोसा दिलाया था कि वह स्वयं इस मामले को जल्द से जल्द निराकरण करवाएंगी।

प्रशांत सिंह का कहना है कि आयुक्त के दिए गए आश्वासन का होम्योपैथी विद्यार्थी अभी तक इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उनके हाथ सिर्फ निराशा ही लगी है।

Be the first to comment on "दोनों सत्र में समान फीस की मांग को लेकर होम्योपैथी स्टूडेंट्स ने दिया"

Leave a comment

Your email address will not be published.


*


error: Content is protected !!