नक्सली मुठभेड़: हाथों की मेंहदी भी नहीं सूखी और मांग उजड़ गई

22 दिन पहले जिस क्षमा प्रिया के हाथों में मेहंदी लगी थी और बाबुल के घर से विदा होकर पिया के आंगन में चहकती हुई आई थी, उसे मंगलवार को यकीन नहीं हो रहा था कि उसका सुहाग उजड़ गया है।

भाई विपिन ने जैसे ही मंगलवार दोपहर एक बजे उसे बताया कि उसके पति दिवाकर शहीद हो गए हैं तो वह अचेत हो गई। उसे समझ में ही नहीं आया कि यह क्या हो गया। उसका चीत्कार सुनकर हर किसी का कलेजा दहल गया। बेसुध क्षमा बार-बार एक ही बात कह रही है उसके दिवाकर को कुछ नहीं हुआ है। वह ठीक हैं। लोग उसकी शादी से जलते हैं इसलिए झूठ बोल रहे हैं।

महिलाएं उसे चुप कराती है पर अपनी सूजी हुई आंखों से आस-पास खड़े लोगों को निहारती है और फिर दहाड़ मारकर रोने लगती है। महज 20 साल की उम्र में उसका वैधव्य लोगों को सिहरा रहा है। क्षमा के भाई विपिन ने बताया कि उन्हें मंगवार को दिन में एक बजे पता चला कि दिवाकर शहीद हो गए हैं।

उधर, शहीद दिवाकर की मां सुनीता देवी की भी यही हालत है। उन्हें जब पता चला कि उनका इकलौता बेटा शहीद हो गया है वो अचेत होकर गिर पड़ी। लगभग डेढ़ माह पहले ही उनका किडनी का ऑपरेशन पटना में हुआ है। उन्हें गंभीर स्थिति में पहले महेशखूंट में दिखलाया गया, फिर बेगूसराय ले जाया गया। वहीं दिवाकर के पिता तुनुकलाल तिवारी को जब से घटना की जानकारी मिली है वे चौकी पर लेट गए हैं। आंखें सूनी हैं। बस लेटे हुए हर आनेजाने वाले को निहार रहे हैं। एक बहन शीला जो महेशखूंट में रहती है उसे जानकारी मिली तो वह भी मां के पास झंझरा पहुंची। घर पहुंचते हीं अचेत होकर गिर गई।

परिवार में किसी को विश्वास ही नहीं हो रहा है कि उनका दुलारा अब नहीं रहा। सीआरपीएफ के कोबरा बटालियन में काम करते हुए देश के लिए कुर्बानी की बलि बेदी पर चढ़ गया। दिवाकर के गांव और ससुराल के लोगों को उसपर फक्र है। वे कहते हैं दिवाकर ने अपनी मिट्टी का कर्ज चुकाया है।

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