पीएचई इंजीनियर पर लाखों के घपले का आरोप, सीएम तक पहुंची शिकायत

भोपाल। प्रदेश के पानी वाले विभाग (लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग) में पेयजल संकट से जूझ रहे गांव में बिना मंजूरी के एक हैंडपंप तक नहीं लगता, लेकिन भोपाल में राजधानी परियोजना खंड क्रमांक-2 में सालों से प्रतिनियुक्ति पर कार्यपालन यंत्री सुनील कुमार चतुर्वेदी हर महीने लेबर के नाम पर 10 लाख से ज्यादा का भ्रष्टाचार करता है। प्रभारी अधीक्षण यंत्री राजेन्द्र हिरादिया एवं प्रमुख अभियंता जीएस डामौर के संरक्षण में फर्जी लेबर के नाम पर हो रहे लाखों के भ्रष्टाचार की शिकायत मुख्यमंत्री तक पहुंची है। शिकायत में चुतर्वेदी पर एक साल में 1.15 करोड़ रुपए फर्जी लेबर के नाम पर हड़पने के आरोप लगाए हैं।

शिकायत की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री सचिवालय ने विभाग के प्रमुख सचिव मनोज गोहिल को जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री समेत पीएचई मंत्री कुसुम मेहदेले को की गई 42 पेज की शिकायत में राजधानी परियोजना के कार्यपालन यंत्री सुनील चतुर्वेदी पर आरोप लगाए गए हैं कि उनके कार्यक्षेत्र में आने वाले उपखंडों में 15 सीवेज पंप हाउस, आक्सीडेशन पाण्ड तथा सीवेज लाइनों के सेक्शन में पहले से ही विभाग का अमला टाइम कीपर, पंप ड्रायवर, बालमेन, हेल्पर व कामगार तैनात हैं। मगर ईई चतर्वेदी ने अमले की कमी बताकर तीनों साइटों के लिए लेबर के लिए टेंडर निकाले। शिकायत में आरोप है कि तीनों उपखंड में 35 से 40 लेबर रोजाना लगाई गई यानी करीब 100 लेबर रोजाना निजी सुरक्षा एजेंसी के माध्यम से काम करना दिखाया गया।

शिकायत में इसका प्रमाण है कि उपखंड क्रमांक-6 में लेबर के एवज में मेसर्स कृष्णा सिक्युरिटी सर्विस चूनाभट्टी को 42 लाख 46 हजार का कार्य आदेश सात दिसंबर 2015 को जारी किया गया था। इसी तरह उपखंड-3 के लिए मेसर्स ईशा प्रोटेक्शन सिक्युरिटी गार्ड नयापुरा भोपाल को 35 लाख का कार्यआदेशी जारी किया गया। ईई पर आरोप है कि इन्होंने उपखंड-5 में 35 लेबर, उपखंड-6 में 40 और उपखंड-8 में 30 लेबर कागजों में दिखाकर निजी सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर करीब 1.15 करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार किया है। शिकायत मिलते ही मुख्यमंत्री सचिवालय ने पीएचई के प्रमुख सचिव को जांच के लिए लिखा।

पीएचई ने जांच के लिए प्रमुख अभियंता को निर्देशित किया है। एक लेबर से तीनों साइटों पर काम खास बात यह है कि शिकायत के साथ लेबर की उपस्थिति पत्रक के जो प्रमाणित दस्तावेज हैं, उनमें एक दिन में एक लेबर से तीनों उपखंडों की साइट पर काम कराया गया है। यानी हाजिरी रजिस्टर में एक लेबर का नाम कई जगह है। इससे कथित भ्रष्टाचार की संभावना बनती है। कठघरे में ईएनसी, निष्पक्ष जांच पर सवाल शासन ने जांच के लिए प्रमुख अभियंता जीएस डामौर को लिखा है, क्योंकि इस कथित भ्रष्टाचार में डामौर की भूमिका पर ही सवाल उठ रहे हैं। खास बात यह है कि ईएनसी कार्यालय में प्रशासन शाखा का काम देख रहे अधीक्षण यंत्री राजेन्द्र हिरादिया को राजधानी परियोजना खंड-2 का प्रभारी एसई का जिम्मा सौंपा गया है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि दोषी अधिकारियों को हटाए बिना निष्पक्ष जांच संभय है क्या।

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