New Delhi : अगर कोर्स शुरू होने से पहले ही छात्र किसी संस्थान में प्रवेश लेने से इनकार कर देता है तो उसकी पूरी फीस एक हजार रुपए काटकर लौटानी होगी। कोई भी संस्थान किसी भी छात्र के मूल दस्तावेज जैसे अंकतालिका, प्रमाणपत्र आदि अपने पास नहीं रख सकेगा।
इसके अलावा ऑल इण्डिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) ने तकनीकी , प्रबंधन और फार्मेसी संस्थाओं के मान्यता नियमों में बदलाव किया है। अब कोई भी कोर्स जो भले यूजीसी के अधिकार क्षेत्र का हो उसे इन संस्थानों के कैंपस में चलाया जा सकता है। इसके लिए काउंसिल से सिर्फ अप्रूवल लेना होगा।
एआईसीटीई के नियमों में सत्र 2017-18 से बदलाव किए गए हैं। इसमें छात्र हित भी देखा गया है।
क्षेत्रीय निदेशक मनोज कुमार तिवारी ने बताया कि यदि कोई छात्र किसी कोर्स में प्रवेश ले लेता है और प्रवेश की अंतिम तिथि खत्म होने से पहले छोड़ देता है। साथ ही उसके छोड़ने के बाद वह सीट भर जाती है तो उसकी फीस केवल एक हजार काट कर लौटानी होगी। यदि कोई छात्र किसी कोर्स में प्रवेश लेता है और प्रवेश की अंतिम तिथि से पहले छोड़ देता है। साथ ही यह सीट भर नहीं पाती है। ऐसे में छात्र की फीस से केवल उतने माह की फीस काटी जाएगी जितनी पढ़ाई की है। हॉस्टल आदि के खर्च में भी अनुपातिक कटौती की जाएगी। इस पूरी प्रक्रिया में सात दिन से अधिक का समय नहीं लगना चाहिए। तीन टाइप के शहरों के लिए 25 कोर्सों की फीस भी तय कर दी गई है।
शिक्षकों को भी एआईसीटीई के नए नियमों में राहत दी गई है। शिक्षकों को तय पे स्केल से भुगतान करना होगा। साथ ही अर्ह शिक्षकों को रखने की अनिवार्यता होगी। शिक्षक-छात्र अनुपात बनाए रखना होगा। ऐसा न करने पर काउंसिल कार्रवाई करेगा। डिप्लोमा, पोस्ट डिप्लोमा, डिग्री, पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री और पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा शुरुी करने वाले नए तकनीकी संस्थानों में अल्पसंख्यक संस्थानों व केवल महिलाओं के लिए संस्थान को प्रोसेसिंग फीस के रूप में 5.0 लाख और अन्य संस्थानों के लिए 7.0 लाख तय की गई है। इसी तरह संस्थान का नेचर बदलने, बंद करने या स्थान बदलने की दरों को भी बदला गया है। एआईसीटीई के क्षेत्रीय कार्यालय ने मंगलवार को ऑल इण्डिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी फॉर हैण्डीकैप्ड (एआईटीएच) में संस्थानों के निरीक्षण करने वाले विशेषज्ञों की कार्यशाला हुई। इसमें काउंसिल के निदेशक (अप्रूवल) विमलेश सोनी और क्षेत्रीय निदेशक मनोज कुमार तिवारी ने भाग लिया। उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड और बिहार के एक्सपर्ट्स कार्यशाला में मौजूद रहे।
डिप्लोमा-डिग्री या डिग्री-डिप्लोमा में बदलें
निदेशक ने बताया कि अब कोई भी डिग्री कोर्स चलाने वाला संस्थान अपने यहां कोर्स को डिग्री में बदल सकता है या इसके पलट भी कर सकता है। फार्मेसी के क्षेत्र में भी ऐसी छूट दी गई है। अगर कोई बीटीसी आदि कोर्स किसी संस्थान में शुरू करना चाहता है तो वह सम्बंधित एजेंसी से अनुमति लेकर शुरू कर सकता है। एआईसीटीई से केवल एनओसी लेनी होगी।
संस्थान शिफ्टिंग का दायरा बढ़ा
यदि कोई संस्थान किसी अन्य स्थान पर शिफ्ट करना है तो वह अब 20 किमी की रेडियस तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि संबद्ध विवि के क्षेत्र में भी शिफ्ट किया जा सकता है। यदि राज्य सरकार संबद्ध विवि का कार्य क्षेत्र बदलता है तो कोई भी अतिरिक्त फीस नहीं लगेगी।
ऐसे बंद कर सकेंगे संस्थान
जितनी सीटों पर प्रवेश लेना है उस पर यदि पांच सालों में 30 प्रतिशत से कम प्रवेश होते हैं। यदि अगले सत्र में भी ऐसी स्थिति रहती है तो उसे काउंसिल की अनुमति लेकर बंद किया जा सकता है। एक्सटेंशन ऑफ अप्रूवल 30 अप्रैल 2017 के बाद नहीं मिलेंगे। पीजीडीएम कोर्स बंद करने के लिए संबद्ध विवि या बोर्ड से एनओसी नहीं लेनी होगी। केवल सम्बंधित दो लाख फीस जमा करनी होगी। पांच साल के इंटीग्रेटेड इंजीनियरिंग प्रोग्राम भी शुरू किए जा सकते हैं।
सीटें घटाने की सुविधा
इनटेक 60 से 30, 120 से 90, 120 से 60, 180 से 150 और 180 से 120 तक सीटें कर सकते हैं, जब स्थिति सामान्य हो तो पूर्व की सीमा फिर बहाल करा सकते हैं।
अब एक ही प्रिंसिपल
यदि कोई गैर तकनीकी संस्थान एमसीए/एमबीए या यूनिवर्सिटी के विभाग कॉलेज जो एमसीए, एमबीए, एमफार्मा और एमटेक प्रोग्राम चलाना चाहते हैं उन्हें अलग प्रिंसिपल की जरूरत नहीं होगी।
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