नई दिल्ली। यूपी में जारी विधानसभा चुनावों की गहमागहमी के बीच बाबरी विध्वंस कांड को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है।
सीबीआई की याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि महज टैक्निकल ग्राउंड पर आरोपी नेताओं को राहत नहीं दी जा सकती।
मालूम हो, मामले में भाजपा के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह और उमा भारती समेत 13 बड़े नेताओं पर आरोप हैं।
सीबीआई ने आपराधिक साजिश की धारा हटाए जाने को चुनौती दी थी, जिस पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से कहा है कि सभी 13 आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश की पूरक चार्जशीट दाखिल की जाए।
अब 22 मार्च की सुनवाई में फैसला होगा कि 25 साल पुराने इस मामले में इन नेताओं पर दोबारा केस चलेगा या नहीं?
फिलहाल राजस्थान के राज्यपाल बनाए गए कल्याण सिंह तब यूपी के मुख्यमंत्री थे। आरोपियों में विश्व हिंदू परिषद के कुछ नेताओं के नाम भी हैं।
एक नजर केस से जुड़ी अहम बातों पर
बाबरी मस्जिद विध्वंस से जुड़े दो मामले चल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दोनों मामलों की सुनवाई एक ही स्थान पर होना चाहिए।
लखनऊ का मामला बाबरी मस्जिद के ढांचा गिराए जाने से जुड़ा है। वहीं रायबरेली में भीड़ को उकसाने का केस दर्ज हुआ था।
लखनऊ वाले मामले में भाजपा और आरएसएस के 19 बड़े नेताओं पर से आपराधिक साजिश की धाराएं हटाई जा चुकी हैं। इसी को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
वहीं रायबरेली के मामले में सभी धाराएं बरकरार हैं।
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