कोसी और सीमांचल के इलाकों में बाढ़ की स्थिति और भयावह होती जा रही है। इस बीच बीते चौबीस घंटों में अररिया, सुपौल में एक-एक और पूर्णिया में 5 लोगों की बाढ़ के पानी में डूबने से मौत हो गई। हालांकि नेपाल में बारिश थमने के बाद गुरुवार को सुबह से कोसी नदी के जलस्तर में गिरावट आई है। सीमांचल के जिलों में बाढ़ का पानी अब शहरी क्षेत्रों में भी प्रवेश कर रहा है। कटिहार में बाढ़ से बचाव में सेना के जवानों को तैनात किया गया है।
गुरुवार को सुबह कोसी बराज से 2 लाख 31 हजार 760 क्यूसेक डिस्चार्ज था वह शाम चार बजे घटकर 2 लाख 12 हजार 490 क्यूसेक तथा बराह क्षेत्र में 1 लाख 56 हजार रेकार्ड किया गया।

कटिहार के कदवा प्रखंड में बुधवार को महानंदा के पानी से घिरे लोगों द्वारा झौआ-बेलगच्छी तटबंध को बढ़ैया परती गांव के पास काटने से कदवा और डंडखोरा में महानंदा नदी की पानी पूरी तरह फैल गया है। बलरामपुर प्रखंड के लोग भी बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। कदवा प्रखंड की 30 और डंडखोरा प्रखंड की दो पंचायतें बाढ़ की चपेट में आ गई हैं।
कदवा के ही शिवगंज के पास गुरुवार को लोग तटबंध काटने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन प्रशासन ने सख्ती से रोक दिया। बाढ़ की स्थिति गंभीर होते देख जिला प्रशासन की रेस्क्यू टीम के साथ सेना के जवानों को बचाव कार्य में लगाया गया है। कटिहार आर्मी कैंप के करीब दो सौ जवानों को पानी से घिरे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की कमान दी गई है। कैंप के कर्नल बी दास ने बताया कि 16 बोट की मदद से आर्मी के जवान बाढ़ से घिरे लोगों को बाहर निकालने में लगे हैं। सेना के जवान कदवा और बलरामपुर प्रखंडों में लगातार राहत कार्य में लगे हैं।

सहरसा में कोसी तटबंध के अंदर कटाव एवं बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 56 सरकारी नावें चलने की बात डीएम बिनोर्द ंसह गुंजियाल ने कही है। इधर सहरसा-मानसी रेलखंड में फनगो के समीप रेल पटरी पर बने कोसी का दबाव और उस स्थल के समीप कटाव जारी है। रेल के अधिकारी कैंप कर रहे हैं लेकिन सुबह से कार्यस्थल पर बोल्डर नहीं रहने के कारण बचाव कार्य में बाधा आयी।
सुपौल में कोसी के जलस्तर में आयी कमी से बाढ़ प्रभावित लोगों को थोड़ी राहत मिली है। जबकि मधेपुरा के मुरलीगंज और्र ंसहेश्वर प्रखंड के कुछ टोलों में कटाव का खतरा बढ़ गया है। मुरलीगंज के रामनगर संथाली टोला के पांच घरों के बलुआहा नदी में विलीन हो जाने के बाद अब वृंदावन दो घर भी सुरसर नदी में समा गएर्। ंसहेश्वर के करुवा नदी का जलस्तर बढ़ने से जजहट सबैला पंचायत के वार्ड 7 मुस्लिम टोला पर भी कटाव का खतरा मंडराने लगा है।
अररिया में नदियों के जलस्तर में कमी होने के बाद भी कई नए इलाकों में बाढ़ का पानी फैल रहा है। प्रशासन ने भी गुरुवार को माना कि बाढ़ प्रभावित इलाकों की संख्या 357 से बढ़कर 384 हो गई। उधर अररिया शहर स्थित जहांगीर मुहल्ला के बाढ़ पीड़ितों ने राहत नहीं देने का आरोप लगाते हुए एनएच जाम कर दिया। वहीं अररिया आजाद एकेडमी में रह रहे बाढ़ पीड़ितों ने शहर में प्रदर्शन किया। अररिया व फारबिसगंज शहर में बाढ़ की यथावत स्थिति है। जिला आपदा प्रबंधन पदाधिकारी शंभू कुमार ने बताया कि बाढ़ प्रभावित जगहों पर 92 नावें दी गई हैं। जिले में 134 राहत कैंप चल रहे हैं।
किशनगंज में बुधवार से प्रमुख नदियों के जलस्तर में कमी आने से गुरुवार को गांवों में घुसा बाढ़ का पानी निकलना शुरू हो गया है। जिले के टेढ़ागाछ, दिघलबैंक, बहादुरगंज, पोठिया, ठाकुरगंज व किशनगंज में बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत व बचाव कार्यों में भी तेजी आई है। बाढ़ में अब तक 6 लोगों की मौत की पुष्टि प्रशासन कर चुका है। जलस्तर नहीं बढ़ने से लोग अपने घर लौटने लगे हैं।
पूर्णिया के ग्रामीण इलाकों में बाढ़ ने जहां विकराल रूप ले लिया है वहीं शहरी इलाकों पर भी दबाव बनाना शुरू कर दिया है। कसबा में मदारघाट बांध पर पानी का दबाव बना हुआ है जिससे शहर प्रभावित हो सकता है। उधर, बनमनखी में जीयनगंज उत्तर टोला के फरियानी बांध पर कटाव शुरू हो गया है जबकि शहर में सौरा नदी उफनायी हुई है। जलस्तर लगातार बढ़ता रहा तो पूर्णिया सहरसा की लाइफ लाइन माना जाने वाला एनएच 107 प्रभावित हो सकता है। इधर, शहर के कई मोहल्लों में सौरा का पानी घुस गया है। इससे एक दर्जन से अधिक मोहल्ले जलमग्न हो गये हैं और लोग घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर शरण लिए हुए हैं। जिले का बायसी अनुमंडल सर्वाधिक प्रभावित है जहां चार प्रखंडों की तीन लाख से अधिक आबादी सैलाब की त्रासदी झेल रही है। सदर अनुमंडल के जलालगढ़ में परमान, कसबा में पनार और धमदाहा अनुमंडल के रुपौली प्रखंड में विजय कोसी नदी बाढ़ की तबाही मचा रही है।
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