बुंदेलखंड का पिछड़ा इलाका प्राकृतिक गैस के असीमित भंडार पर बैठा है। आलम ये है कि यहां लगी ट्यूबवैलों से पानी की जगह गैस निकलने लगी है जो चिंगारी मिलते ही जलने लगती है। चार जिलों में फैले 150 किलोमीटर के दायरे में जगह जगह ट्यूबवैल से गैस लीक हो रही है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार भारी बारिश के बाद जब आसपास की ट्यूवैल रिचार्ज हुई तो ग्रामीणों के लिए सिंचाई की जरूरत फिलहाल खत्म हो गई। इसलिए ग्रामीण अब इन ट्यूबवैल का उपयोग इनसे निकलने वाली गैस के द्वारा खाना बनाने के लिए कर रहे हैं। हालांकि ग्रामीणों द्वारा ऐसा करना विनाशकारी हो सकता है लेकिन अभी तक प्रशासन ने इसकी सुध नहीं ली है। वहीं जनपद पंचायत का कहना है कि वह इस मामले में जिला प्रशासन को सूचित कर चुके हैं लेकिन भी तक उन्होंने कोई जवाब ही नहीं दिया है। दूसरी ओर सागर के जिला कलेक्टर विकेश नरवाल इस मामले से बिल्कुल अंजान हैं, उनका कहना है कि मैंने छह महीने पहले ही ज्वाइन किया है मैं इस मामले को दिखवाता हूं। वहीं सागर की डा. हरि सिंह गौर यूनिवर्सिटी में एप्लाइड ज्यूलॉजी के प्रोफेसर अरुण कुमार शांडिल्य बताते हैं कि वह पिछले दो दशक से इस मुद्दे को उठाने का प्रयास कर रहे हैं। वो बताते हैं कि विदिशा, सागर, दमोह और पन्ना जिलों के 150 किमी के दायरे में कम से कम 50 ट्यूबवैल से यह गैस निकल रही हैं।
बुंदेलखंड में ट्यूबवैल से पानी की जगह निकल रही आग, खाना बना रहे ग्रामीण

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