Bihar : शायद ही कोई ऐसा दिन गुजरता हो जब हमें अखबारों में नौकरी दिलाने के नाम पर बिहार में चल रही ठगी किसी खबर से दो- चार ना हों. कभी रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर तो कभी प्राईवेट सुरक्षा ऐजेंसी में नौकरी दिलाने के नाम पर. इतना ही नही कई बार तो ये ठग विदशों में नौकरी दिलाने के नाम पर भी लोगों को अच्छा खासा चुना लगा जाते हैं. नौकरी के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह अंतरराज्यी स्तर पर काम को बडे ही संगठित तरिके से करते हैं.
अब हम आपको बिहार में हालही में रजिस्टर्ड एक सोसाइटी के बारे में बताने जा रहे हैं जो पटना में सितंबर महीनें में रजिस्टर्ड हुई हैं. लेकिन दो महीनों में कई पोस्ट्स जैसे चपरासी, ऑपरेटर, डिस्ट्रिक्ट कोओर्डिनेटर, ब्लॉक कोओर्डिनेटर आदि की ऑनलाइन जॉब निकाली.
कितने लोग इसके लिए फॉर्म भरे कुछ नहीं पता चला हैं. एक पाठक के अनुसार हजारों ने इसके लिए ऑनलाइन आवेदन किया हैं.
ब्लॉक कोओर्डिनेटर के पद पर हमारे एक पाठक ने फॉर्म भरा था. फॉर्म फ्री में भरा था लेकिन जब एडमिट कार्ड मिला तो उसमे 151 रूपये के ड्राफ्ट के साथ आने की बात कही गई. फिर हमने थोड़ा रिसर्च किया तो कई नई बाते सामने आई.
हमें एक रिजल्ट हाथ लगी जिसमें चपरासी पद का रिजल्ट था उसमें लड़कों के नंबर थे हमने कुछ लड़कों से बात किया तो पता चला कि सबने 151 रूपये देकर एग्जाम के नाम पर केवल इंटरव्यू दिया हैं. उनसे जब हमने बात किया तो उन्हें न रिजल्ट के बारे में कुछ पता हैं न कुछ फॉर्म का डिटेल मालूम हैं. कुछ अभियार्थियों से बातचीत हमनें रिकॉर्ड किया हैं जिसे सुन आप हैरान रह जायेंगे. सरकार और प्रशासन को इस मामले को जाँच करना चाहिए कि सितंबर में ही रजिस्टर हुई सोसाइटी को इतने बड़े सख्या में अभियार्थियों की क्यों आवश्यकता पड़ी? 151 रूपये फॉर्म भरते समय क्यों नहीं माँगा गया या लिया गया? क्यों एडमिट कार्ड पत्र के साथ 151 रूपये डिमांड ड्राफ्ट माँगा गया? यह संस्था क्या कर रही हैं जो इतने बड़े संख्या ममे इसे लोग चाहिए?
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