भारत के विशाल पारंपरिक ज्ञान का फायदा उठा सकता है ब्रिटेन- मोदी

New Delhi : ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे के साथ भारत और ब्रिटेन के बीच पहले तकनीक सम्मेलन की सह अध्यक्षता करते हुये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिटेन की तारीफ की और कहा कि सुरक्षात्मक स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में ब्रिटेन सहयोगी की भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि एक समग्र दृष्टिकोण उपलब्ध कराने के लिये भारत के विशाल पारंपारिक ज्ञान आधार का आधुनिक वैज्ञानिक शोध से फायदा उठाने में ब्र्रिटेन हमारा सहयोगी बन सकता है।
मोदी ने मे का स्वागत करते हुये कहा कि यह भारत के लिये बहुत ही सौभाग्य की बात है कि स्वंय ब्रिटिश प्रधानमंत्री इस आयोजन में हिस्सा ले रही हैं। उन्होंने इस बात का जिक्र भी किया कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने अपने घर पर भारतीय समुदाय के लोगों के साथ दीपावली का पर्व मनाया था।
आज विश्व ऐसे मोड़ पर है जहां तकनीकी उन्नति में बदलाव हो रहा है।
मोदी ने कहा कि यह सम्मेलन भारत और ब्रिटेन के बीच शिक्षा,शोध और नवाचार के लिये वर्ष 2016 को रेखांकित किये जाने का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक रुप से भारत और ब्रिटेन एक दूसरे से जुड़े हुये हैं और ऐसे में यह बहुत जरुरी है कि दोनों देश 21 वीं सदी में ज्ञान आधारित अर्थतंत्र को परिभाषित करने के लिये मिल कर कार्य करें।

अपनी भारत यात्रा के दौरान ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे मोदी से द्विपक्षीय संबंधों और आपसी हितों से जुड़े सभी मामलों पर बातचीत करेंगी। इस दौरान वह राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से भी शिष्टाचार मुलाकात करेंगी।
बता दें कि ब्रिटेन में भारत तीसरा बड़ा निवेशक है और जी 20 निवेशकों में ब्रिटेन भारत में सबसे बड़ा निवेशक है। दोनों देशों के लोग एक दूसरे की अर्थव्यवस्था में काफी सहयोग कर रहे हैं और एक दूसरे के यहां विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत हैं। विज्ञान प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वर्तमान भारत ब्रिटिश सहयोग उच्च गुणवत्ता एवं उच्च प्रभाव वाले शोध सहयोग से प्रेरित है।
न्यूटन -भाभा कार्यक्रम के तहत दोनों देशों ने दो वर्ष से भी कम समय में व्यापक स्तर पर सहयोग किया है जिसमें मूलभूत विज्ञान से लेकर विभिन्न समस्याओं का हल खोजने वाली वैज्ञानिक विधियां शामिल हैं और इनका लक्ष्य सामाजिक चुनौतियों से निपटना है। दोनों देशों ने एक करोड़ पाउंड के संयुक्त निवेश से सौर उर्जा पर भारत ब्रिटेन स्वच्छ उर्जा शोध एवं विकास केंद्र की स्थापना पर सहमति जताई है । इसके अलावा डेढ़ करोड़ पाउंड की संयुक्त निवेश से एक नये ‘एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस इनिशियेटिव’ की शुरुआत भी की जा रही है।
गौरतलब है कि थेरेसा मे कल रात तीन दिवसीय सरकारी यात्रा पर भारत पहुंची। यह उच्च स्तरीय सम्मेलन भारत और ब्रिटेन के उद्योगपतियों के लिये नई संभावनों के द्वार खोल सकता है ताकि वैज्ञानिक ज्ञान को तकनीक आधारित उपक्रम में बदला जा सके। मोदी ने पिछले वर्ष नवंबर में अपनी ब्रिटेन यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच बीच मैत्री को प्रगाढ़ करने के लिये इस सम्मेलन पर विचार किया था। पदभार संभालने के बाद यूरोपीय संघ के बाहर थेरेसा मे की यह पहली विदेश यात्रा है।

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