भोपाल में शौर्य स्मारक

सी.एम. ब्लाग 

सपना हुआ साकार 

हर प्राणी को सबसे प्यारा अपना जीवन होता है। जीवन को सबसे मूल्यवान माना जाता है। लेकिन जो वीर होते हैं, वे अपनी मातृभूमि के गौरव और सम्मान को जीवन से कहीं ऊपर रखते हैं। इसके लिये जीवन का बलिदान करने में वे एक क्षण भी नहीं सोचते। उनके बलिदानों से ही राष्ट्र और हमारा जीवन सुरक्षित रहता हैं। ऐसे वीरों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए कोई भी भाषा पूरी तरह समर्थ नहीं है।

भारत भूमि वीर-प्रसूता है। इसकी माटी में ऐसे वीर सपूतों और वीरांगनाओं ने जन्म लिया है, जिनके शौर्य की गाथाएं सदियों से लोगों की जुबान पर हैं। किताबों के पन्ने उनकी वीरगाथाओं से भरे पड़े हैं। उनकी वीरता के कार्यों पर आधारित लोकगीत गांव-गांव, घर-घर में गाये जाते हैं। यह सब उनके प्रति हमारी कृतज्ञता की अभिव्यक्ति हैं।

मेरे मन में हमेशा से एक सपना पलता रहा कि प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक ऐसा अनूठा और भव्य शौर्य स्मारक बने, जो समाज, विशेषकर नयी पीढ़ी को हमारे वीरों के शौर्य तथा बलिदान से परिचित कराने के साथ-साथ उनके रोम-रोम में देशप्रेम की भावना भर दे। बहुत विचार और विशेषज्ञों से परामर्श के बाद शौर्य स्मारक का कार्य अरेरा पहाड़ी पर उपयुक्त स्थल चुनकर शुरू किया गया। वर्षों के कड़े परिश्रम और उत्कृष्ट शिल्पकारी के फलस्वरूप भव्य शौर्य स्मारक बनकर तैयार है।

हमारे लिये यह गर्व की बात है कि शौर्य स्मारक का शुभारंभ करने परम् राष्ट्रभक्त और देश के विकास में अपने जीवन का हर पल समर्पित करने वाले प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी पधार रहे हैं। भारत के रक्षामंत्री श्री मनोहर पर्रिकर भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे। हमारा प्रयास है कि तीनों सेनाओं के प्रमुख भी इस अवसर पर उपस्थित रहें।

कुल 41 करोड़ रुपये की लागत से लगभग 12.67 एकड़ भूमि पर निर्मित इस अद्वितीय स्मारक की परिकल्पना बहुत अद्भुत है। इसमे जीवन बलिदान करने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई है। स्मारक जीवंत अनुभूति प्रदान करता है। इसमें शूरवीर सैनिक की राष्ट्रसेवा से प्रेरित जीवनयात्रा का रूपायन है। जीवन, युद्ध के रंगमंच, मृत्यु तथा मृत्यु पर विजय को चार प्रांगणों की श्रृंखला के रूप में अलग-अलग दिखाया गया। इसके रूपांकन में जीवन-मृत्यु, युद्ध-शांति तथा मोक्ष-उत्सर्ग जैसे जटिल अव्यक्त अनुभवों को सरल, सहज तरीके से रूपांकित करने के लिए सुंदर तानाबाना बुना गयाहै।

स्मारक में पृथ्वी से उभरता हुआ 62 फीट ऊँचा शौर्य स्तम्भ एक सैनिक के जीवन को दर्शाता है। यह स्तम्भ अंदरूनी शक्ति और साहस का प्रतीक है। स्तम्भ के आसपास के वातावरण से आगंतुक के मन में वीरों के प्रति सम्मान और नमन का भाव जागृत होगा।

स्मारक में शहीदों के सम्मान में प्रज्जवलित परंपरागत अनन्त ज्योति को एक अत्याधुनिक होलोग्राफिक लौ के माध्यम से दर्शाया गया है। स्मारक में एक व्याख्या केन्द्र भी है, जिसके माध्यम से आगंतुकों को स्मारक के स्वरूप को समझने में मदद मिलेगी। यहां एक शौर्य वीथिका भी है, जिसमें भारतीय सैनिकों की देशभक्ति और शौर्य को तस्वीरों के रूप में दिखाया गया है। यह महाभारत काल से शुरू होकर आजादी के संघर्ष तक को दर्शाता है। इसमें परमवीर चक्र, महावीर चक्र जैसे शौर्य सम्मानों से पुरस्कृत विजेताओं की तस्वीरें भी प्रदर्शित हैं। भारतीय सेना के हवाई जहाज, टैंक तथा पानी के जहाजों के लघु मॉडल आगंतुकों के आकर्षण का केन्द्र बिन्दु होंगे।

निश्चय ही शौर्य स्मारक का अवलोकन करने वाले लोग अपने वीर सैनिकों के प्रति कृतज्ञता और राष्ट्रप्रेम की भावना से ओतप्रोत होकर लौटेंगे।

लेखक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।

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