अगरतला। केन्द्र सरकार मवेशियों के व्यापार और वध को लेकर नया कानून बनाने पर विचार कर सकती है। केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन ने गुरुवार को त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में यह बात कही। हर्षवर्धन ने कहा, अगर हमें कोई स्वीकार्य या महत्वपूर्ण प्रस्ताव मिलता है तो हम मवेशियों के व्यापार और वध से संबंधित नया कानून लाने पर विचार कर सकते हैं। हर्षवर्धन ने कहा कि मामले पर कुछ जानकारियों का अभाव और गलतफहमी हुई है।
हर्षवर्धन के पास एनवायरमेंट, फोरेस्ट और क्लाइमेट चेंज मंत्रालय है। साथ ही उनके पास साइंस एंड टेक्नोलॉजी एवं अर्थ साइंसेज का भी प्रभार है। हर्षवर्धन मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए अगरतला पहुंचे थे। पर्यावरण मंत्रालय ने हाल ही में पशु क्रूरता निवारण (रेगुलेशन ऑफ लाइवस्टॉक मार्केट्स)नियम 2017 की अधिसूचना जारी की थी। इसमें वध के लिए मवेशियों की खरीद और बिक्री पर रोक लगा दी गई थी। त्रिपुरा की वामपंथी सरकार पहले ही घोषणा कर चुकी है कि वह नए नियम लागू नहीं करेगी क्योंकि ये लोगों के हितों के खिलाफ है। त्रिपुरा के एग्रीकल्चर एंड एनिमल रिसोर्स डेवलपमेंट मिनिस्टर अघोर देबबर्मा ने कहा था कि केन्द्र सरकार ने मवेशियों के व्यापर और कत्ल से जुड़े जो नए नियम लागू किए हैं वे लोगों के हितों के खिलाफ है। हम नए नियमों को लागू नहीं करेंगे।
सीपीएम ने भी भाजपा के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार की ओर से मवेशियों के व्यापार और वध संबंधित नए नियमों को लागू करने की कड़ी आलोचना की थी। सीपीएम की त्रिपुरा ईकाई के सचिव बिजन धर ने कहा था कि लोगों का एक बड़ा वर्ग,खासतौर पर दलित समुदाय मवेशियों की चमड़ी से संबंधित व्यवसाय में लगा हुआ है। किसान भी मवेशियों के धंधे से जुड़े हुए हैं। अल्पसंख्यक प्रोटिन के स्रोत के लिए मवेशियों पर निर्भर है। इससे ये सभी प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होंगे। हमारे देश में संघीय लोकतंत्र है। केन्द्र सरकार राज्यों को शामिल किए बिना कई चीजें नहीं कर सकती। भाजपा ने अकेले ही नए
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