माफ करने और माफी मांगने की रात है शब-ए-बारात

रहमतों के महीने रमजान से पहले मगफिरत का महीना शाबान आता है, जिसे रसूल अकरम ने गुनाहों को मिटाने वाला महीना करार दिया है। इस शाबान के महीने में एक रात ऐसी भी आती है, जिसमें अल्लाह अपने गुनहगार बन्दों की दुआओं को सुनता है और उन लोगों को जहन्नुम से निजात देता है। उस रात अल्लाह की रहमत जोश में होती है और वह पुकार-पुकार कर मगफेरत की चाहत रखने वालों को अपने हुजूर में तौबा करने की इजाजत देता है। और फिर उनकी दुआएं कुबूल करता है। फजीलत और बरकत वाली यह रात शबे बरात मुस्लिम कैलेंडर के आठवें महीने शाबान की चौदहवीं रात (तारीख) को मगरिब के वक्त शुरू होकर सुबह सूरज निकले तक जारी रहती है।
 
शबे बरात के गुनाहों से मगफिरक की रात है। हदीस में बयान किया गया है कि इस रात इस कायनात का मालिक पहले आसमान पर जलवागर होकर इंसानों को पुकारता है कि जो मगफिरत तलब करे तो मैं उसको बख्श दूं, कोई रिज्क मांगे तो उसे रिज्क दूं, कोई बीमार दुआ करे तो मैं उसे शिफा बख्शूं। अल्लाह के रसूल ‘मोहम्मद सल्ललाहोअलैहे वसल्लम’ फरमाया करते थे कि शाबान मेरा महीना है, रजब अल्लाह का महीना है और रमजान मेरी उम्मत का महीना है। शाबान गुनाहों को मिटाने वाला और रमजान पाक करने वाला है। शबे बरात का जिक्र करते हुए अल्लाह के रसूल ने एक बार फरमाया कि इस रात अल्लाह के फरिश्ते हजरत जिबराईल मेरे पास आये और कहा कि यह वह रात है, जिसमें अल्लाहतआला रहमत के दरवाजों में से तीन सौ दरवाजे खोलता है और हर उस शख्स को बख्श देता है, जो अल्लाह की जात में किसी को शरीक न करता हो। न वह जादूगर हो और न वह अपनी बीबी के अलावा दूसरी औरत से जिस्मानी ताल्लुक़ रखता हो। न जो सूद खाता हो, लेकिन अगर ये लोग भी अपने गुनाह से तौबा कर लें तो अल्लाह उनको भी बख्श देता है। गोया इस रात की फजीलत यही है कि इस रात लोगों के गुनाह माफ किये जाते हैं।
 
इस बात से यह भी जाहिर होता है कि इस दुनिया को बनाने वाले मालिक को अपने बंदे कितने महबूब हैं कि वह अपने बंदे को अपने गुनाहों से तौबा करने का बार-बार मौका देता है। पर बंदा बार-बार गुनाह करने पर तुला रहे तो फिर उसको तबाह होने से कौन बचा सकता है? लिहाजा इस रात जागकर घूमने-फिरने और पटाखे छोड़ने के बजाय जरूरत इसकी है कि पूरी रात मालिक से उसकी रहमत, उसके फजलो करम, उसकी बख्शिश और उसकी रज़ा तलब करें।

Be the first to comment on "माफ करने और माफी मांगने की रात है शब-ए-बारात"

Leave a comment

Your email address will not be published.


*


error: Content is protected !!