मोदी ने इस्लामिक बैंकिंग के लिए खोले दरवाज़े

सालों की लंबी लड़ाई और इंतज़ार के बाद भारत में इस्लामिक बैंकिंग के लिए दरवाज़े खुल गए हैं.

जेद्दा के इस्लामिक डेवेलपमेंट बैंक (आईडीबी) की शाखा प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात में खुलेगी. यह बैंक प्रधानमंत्री मोदी के क़रीबी ज़फ़र सरेशवाला के नेतृत्व में खुल रहा है.

सरेशवाला गुजरात के नामी बिज़नेसमैन हैं और प्रधानमंत्री बनने के बाद ही मोदी ने उन्हें मौलाना आज़ाद नेशनल यूनिवर्सिटी का चांसलर नियुक्त किया था.

सरेशवाला के अनुसार, भारत पहला ग़ैर इस्लामिक देश है जहां यह बैंक अपनी सेवाएं देने जा रहा है.

हाल ही में भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने इस तरह के किसी भी प्रयास का तीखा विरोध किया था.

इस बैंक में सऊदी अरब सबसे बड़ा साझीदार और उसकी क़रीब 24 प्रतिशत हिस्सेदारी है.

इस्लामिक बैंकिंग क्या है, ये कैसे काम करता है, इन सवालों को लेकर बीबीसी संवाददाता ज़ुबैर अहमद ने ज़फ़र सरेशवाला ने बात की.

पेश हैं इस बातचीत के अंश:

इस्लामी बैंकिंग क्या है और कैसे काम करता है?

इस्लामी बैंकिंग का कॉन्सेप्ट इस्लाम के बुनियादी उसूल इंसाफ़ और सामाजिक न्याय पर आधारित है.

इस्लाम सूद के ख़िलाफ़ इसलिए है क्योंकि ब्याज की बुनियाद पर बने निज़ाम में बहुत सारे लोगों के पैसे कुछ चंद लोगों के हाथ में आ जाते हैं. इसके मुक़ाबले ज़कात (बचत के एक हिस्से का दान) की व्यवस्था है, जिसमें कुछ लोगों का पैसा बहुत सारे लोगों के पास जाता है.

लेकिन इससे भारतीय कारोबारियों को किस तरह की मदद मिलेगी?

एक कारोबारी मेहनत करता है, उसकी मेहनत की भी क़ीमत लगनी चाहिए. ब्याज की व्यवस्था के मुक़ाबले इस्लाम ये कहता है कि नफ़े और नुक़सान में क़र्ज़ देने और लेने वाले दोनों ही बराबर के हिस्सेदार हैं.

यानी इस्लामिक बैंकिंग साझेदारी वाली व्यवस्था है. ऐसी व्यवस्था किसको क़बूल नहीं होगी.”

अगर मैं विश्व हिंदू परिषद के मुखिया को कहूं कि मैं एक करोड़ रुपया लगा रहा हूं और कहूं कि मैं सूद नहीं लूंगा, नफ़े नुक़सान में बराबर की हिस्सेदारी होगी तो वो क्यों इनकार करेंगे.

यह इस्लामिक डेवेलपमेंट बैंक गुजरात में खुलने वाला है. तो क्या इसको भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थन हासिल है?

हमारे प्रधानमंत्री बहुत व्यवहारिक हैं, वो बहुत दूर की सोचते हैं. वो निवेश, बुनियादी ढांचा, व्यापार और तरक्क़ी को लेकर बहुत संजीदा हैं.

इस्लामिक डेवेलपमेंट बैंक नॉन बैंकिंग फ़ाइनेंस कंपनी की शाखा खोलने जा रहा है और साथ में 200 करोड़ रुपये की पूंजी भा ला रहा है. यह पैसा देश में ही तो आ रहा है.

इसके साथ दो और काम हुए हैं. जब प्रधानमंत्री जेद्दा में थे, बैंक ने भारत के ग्रामीण इलाक़ों के लिए 400 करोड़ रुपये वर्क की मोबाइल यूनिट देने के एक समझौते पर दस्तख़त किए थे, जो जल्द ही अस्तित्व में आ जाएगा.

दूसरा, क़रीब 10 करोड़ डॉलर के क्रेडिट लाइन का एक और समझौता सरकारी मालिकाने वाले एक्ज़िम बैंक के साथ हुआ था.

इसको लेकर कैसी प्रतिक्रियाएं रहीं?

बिज़नेस और कॉमर्स की बात मुसलमानों से ज़्यादा हिंदू समझते हैं इसलिए मुसलमानों के मुक़ाबले हिंदुओं की ओर से मुझे अधिक मुबारकबाद मिल रही है. लघु और मध्यम उद्योगों को बहुत ज़्यादा पैसे की ज़रूरत नहीं होती.

पांच से दस करोड़ तक का कारोबार करने वालों को बस थोड़े सपोर्ट की ज़रूरत होती है. ये ज़रूरी इसलिए है कि सबसे अधिक रोज़गार का सृजन इन्हीं उद्योगों में आता है.

इससे ऐसे मुसलमानों को भी मुख्य धारा में लाना आसान होगा जो सूद की वजह से क़र्ज़ नहीं लेते.

For More News

http://www.httvnews.com/category/national/

हम ऐसे लोगों को मदद करने की सोच रहे हैं जिनके पास पूंजी नहीं है लेकिन हुनर है और उनका बैंकों से उतना राब्ता नहीं है.

क्या इसमें केवल मुसलमान समुदाय की ही भागीदारी होगी?

इस्लामिक बैंकिंग में ग़ैर मुसलमानों का भी स्वागत है. इसे इस्लामी समुदाय से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए.

आज जो परम्पागत बैंकिंग हैं उसे यहूदियों ने शुरू किया था. यूरोप, मलेशिया, सिंगापुर और लंदन जैसे जिन जिन जगहों पर इस्लामिक बैंकिंग चल रही है, वहां इसका इस्तेमाल करने वाले ज़्यादातर ग़ैर मुसलमान हैं.

लेकिन कुछ लोगों को थोड़ा संदेह भी है कि पता नहीं इस्लामिक बैंकिंग क्या है, इसके बाद कहीं इस्लाम का निज़ाम तो नहीं आ जाएगा?

ऐसे लोगों से मुझे यही कहना है कि इसे मज़हबी चश्मे से न देखें, यह एक वैकल्पिक आर्थिक गतिविधि है.

बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने रिज़र्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन पर जो आरोप लगाए थे उनमें से एक आरोप ये भी था कि वो भारत में इस्लामी बैंकिंग लाना चाहते हैं, इस आप पर क्या कहेंगे?

स्वामी भारत के कई सांसदों में एक हैं और उन्हें अपनी बात रखने का पूरा हक़ है.

For More News

http://www.httvnews.com/category/national/

 

Be the first to comment on "मोदी ने इस्लामिक बैंकिंग के लिए खोले दरवाज़े"

Leave a comment

Your email address will not be published.


*


error: Content is protected !!