Jhasi : झांसी के सराफ राजेंद्र अग्रवाल और राजू के अपहरण के मामले में फरार चल रहे 50 हजार के इनामी अपराधी लोकेंद्र को एसटीएफ ने शुक्रवार सुबह मऊ रोड से गिरफ्तार कर लिया। वह मोस्ट वांटेड अपराधी विनोद जाट का दायां हाथ कहा जाता है। लोकेंद्र पर 20 से अधिक केस दर्ज हैं।
विनोद जाट गैंग ने 12 जुलाई को राजेंद्र और राजू का अपहरण 25 करोड़ की फिरौती के लिए किया था। दोनों सराफों को सिकंदरा के निखिल वुडलैंड अपार्टमेंट में 25 जुलाई को हुई मुठभेड़ के बाद मुक्त कराया गया था। इस मुठभेड़ पर सवाल उठे थे क्योंकि कोई बदमाश गिरफ्तार नहीं हो पाया था।
चर्चा यह भी चली थी कि कारोबारी फिरौती देकर रिहा हुए हैं, एसटीएफ मुठभेड़ की कहानी बना रही है, लेकिन अधिकारी यही कहते रहे कि पूरा घटनाक्रम वास्तव में इसी तरह हुआ है।
मुठभेड़ में विनोद जाट, लोकेंद्र और जितेंद्र उर्फ कंजा फरार बताए गए थे। एसटीएफ के इंस्पेक्टर जेके सिंह ने बताया कि एक सटीक सूचना पर लोकेंद्र को मऊ रोड से गिरफ्तार किया गया। वह हाथरस केसहपऊ थाना क्षेत्र के मढ़ाका गांव का रहने वाला है। विनोद जाट बर्खास्त सिपाही है। वह भी हाथरस का है।
कोचिंग पर नौकरी करने आया था
लोकेंद्र ने पुलिस पूछताछ में बताया है कि वह कमला नगर में कोचिंग करता था। विनोद जाट ने भी कोचिंग सेंटर चलाया है। वह उसके साथ रहा। लोकेंद्र 12 वीं तक पढ़ा है। कोचिंग सेंटर पर हाजिरी लगाने आदि का काम कर लेता है। अब फिर से नाम बदलकर नौकरी करने के लिए आया था। उसकी कई कोचिंग सेंटर वालों से पुरानी जान पहचान है।
गुरुग्राम और दिल्ली में रहा
पुलिस ने बताया कि निखिल वुडलैंड अपार्टमेंट की मुठभेड़ के बाद विनोद जाट, लोकेंद्र और जितेंद्र अलग-अलग हो गए थे। लोकेंद्र ने बताया है कि वह पहले दिल्ली में रहा। इसकेबाद गुरुग्राम में रिश्तेदारी में जाकर शरण ली। अब गुरुग्राम से आगरा आया था।
पुलिस ने बताया कि लोंकेंद्र भी निखिल वुडलैंड अपार्टमेंट में किराए पर रह चुका है। उससे पहले एक फ्लैट में विनोद जाट भी किराए पर रहा था। लोकेंद्र ने ही अगवा कारोबारियों को रखने के लिए फ्लैट नंबर 404 किराए पर लिया था। एसटीएफ को उसने यह नहीं बताया है कि किराया अपार्टमेंट के चौकीदार को दिया था या फिर फ्लैट के मालिक को।
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