रमजान में रोजेदार कैदियों को मिले सेहरी और इफ्तार

भोपाल :  भोपाल जेल में तकरीबन एक हजार से ज्यादा बंदी और हवालाती रोजे रखते हैं। हर साल रमजान के पूरे माह बंदियों तक उनके परिजनों और रिश्तेदारों द्वारा सेहरी (सुबह रोजे के पहले का खाना) और अफ्तार (रोजा खोलने के समय का खाना) जेल के भीतर पहुंचाने की छूट रहती थी, लेकिन इस बार जेल ब्रेकिंग की घटना के बाद जेल विभाग ने नियमों को सख्त करते हुए पूरे प्रदेश की जेलों में खाने पीने के बाहरी सामान पर उन बंदियों के लिए भी रोक लगा दी है,जिनका इस घटना से कोई ताल्लुक नहीं था। जिसके कारण आम रोजेदार बंदियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग जिला अध्यक्ष सैय्यद उस्मान अली ने मध्य प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग को पत्र लिखकर मानवीय पहलू को मद्देनजर रखते हुए जेल में रमजान के पूरे माह सेहरी और अफ्तारी का सामान पहुंचाने की छूट प्रदान करने की मांग की है |

उस्मान अली में अपने पत्र में लिखा है की इस बार भीषण गर्मी के मौसम में रमजान शुरू हो रहे हैं और तकरीबन 17 घंटों से भी ज्यादा का रोजा होगा। जिसमें रोजेदार बंदी न कोई चीज खा सकते हैं और न ही पानी पी सकते हैं। जिसके कारण रोजेदार के जिस्म में एनर्जी की कमी हो जाती है, जिससे वह काफी कमजोर हो जाता है। इस एनर्जी को वापस लाने के लिए उन्हें सुबह सेहरी और शाम को अफ्तारी में पौष्टिक आहार (फल-फू्रट और एनर्जी प्रदान करने वाली अन्य खाद्य सामग्री) की जरूरत होती है।

उस्मान अली ने पत्र में लिखा है की यदि लगातार एक माह तक रोजेदार बंदी को सेहरी और अफ्तारी में पौष्टिक आहार न मिले तो वह काफी कमजोर हो जाएगा है और हालत यहां तक बिगड़ सकती है कि उसकी जान तक को खतरा हो सकता है। साल में एक मर्तबा आने वाले रमजान के रोज रखना हर मुसलमान के लिए फर्ज है।
उन्होंने कहा है की है की यह सामान जेल ब्रेकिंग की घटना के बाद बंद किया गया है। जबकि आम बंदियों का सिमी या किसी अन्य प्रतिबंधित संगठन के कार्यकर्ताओं से कोई लेना देना नहीं होता। सिमी कार्यकर्ताओं को अलग सेल में रखा जाता है। इस नियम के कारण प्रतिबंधित संगठन सिमी के कार्यकर्ताओं के किए हुए की सजा आम बंदियों को भुगतना पड़ रही है। 

 

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