रेज्डबेड पद्धति से 4.5 क्विंटल प्रति बीघा हुआ सोयाबीन उत्पादन

 

उज्जैन जिले की तराना तहसील के गाँव सामटिया-खेड़ी के किसान रामप्रसाद ने कृषि विभाग की सलाह पर रेज्डबेड पद्धति अपनाकर जल निकासी की अच्छी व्यवस्था कर ली है। पहले अपनी लगभग 4 हेक्टेयर कृषिभूमि पर साधारण सीडड्रिल से बुवाई कर मात्र दोक्विंटल प्रति बीघा सोयाबीन उत्पादन कर पाते थे। रामप्रसाद ने रेज्डबेड पद्धति का उपयोग कर वर्ष 2017-18 में साढ़े चार क्विंटल प्रति-बीघा सोयाबीन का उत्पादन प्राप्त किया है।

रामप्रसाद पहले जब साधारण सीडड्रिल से बुवाई करते थे, तो गलती जमीन में पानी भर जाने से अक्सर इनकी फसल नष्ट हो जाती थी। इस विधि का प्रयोग करने से बीज भी ज्यादा लगता था। उद्यानिकी विभाग से इनका ड्रिप पद्धति का प्रोजेक्ट मंजूर हुआ। इन्हें कृषि विभाग की सलाह पर नलकूप योजना का लाभ मिला। इससे इनकी पूरी भूमि सिचिंत हो गई है। ग्रामीण विस्तार अधिकारी के मार्गदर्शन में तीन बीघा में इन्होंने सन्तरे का बगीचा भी लगाया है और एक बीघा में अमरूद के पेड़ लगाए हैं। फलोद्यान से इनको पिछले दो वर्ष से एक लाख रूपये से अधिक की अतिरिक्त आमदनी हो रही है। रामप्रसाद ने बायोगैस निर्माण की व्यवस्था की है, जिससे इन्हे कम लागत में अच्छा जैविक खाद मिल रहा है।

कृषक रामप्रसाद खेती के साथ पशुपालन भी कर रहे हैं। इनके पास चार दुधारू भैंस, दो गाय और दो बकरी हैं। खेतों में काम करने के लिए दो बैल भी हैं। इन्हें प्रति-दिन पर्याप्त दूध मिलने लगा है। इनका प्रति माह 6 हजार रूपये का दूध बिकने भी लगा है।

रामप्रसाद अब स्लरी और अन्य जैविक कृषि अपशिष्ट से खाद तैयार करते हैं। अब रासायनिक खाद का बिल्कुल उपयोग नहीं करते। इन्होंने कृषक के रूप में पूरे इलाके में अपनी पहचान बनाई है। इन्होने अपने बलबूते पर कम जमीन से अधिक पैदावार कर कृषक समाज में मिसाल पेश की है। आस-पास के किसान अब रामप्रसाद से सलाह लेने आते हैं।

सक्सेस स्टोरी (उज्जैन)

 

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