शिवलिंग आरोहण को गए विदेशी पर्वतारोही की मौत

गंगोत्री घाटी की शिवलिंग पीक पर आरोहण को गए पोलैंड के दो पर्वतारोही तीन दिनों से फंसे हुए हैं। इनमें से एक पर्वतारोही की गुरुवार शाम को उतरते वक्त तीन सौ मीटर गहरी खाई में गिरने से मौत हो गई है। एनआईएम की टीम ने पर्वतारोही का शव बरामद कर लिया है।दूसरे साथी की तलाश में सेना, एसडीआरएफ और निम की छह टीमों का रेस्क्यू जारी है।

एनआईएम के प्रधानाचार्य कर्नल अजय कोठियाल ने बताया कि पुलिस ने बुधवार को सूचना दी कि पोलैंड से आया छह सदस्यीय दल शिवलिंग पीक पर आरोहण को गया था। समिट कैंप पर दो पर्वतारोही की तबियत खराब हो गई। इस पर दल के तीन सदस्य नीचे उतरे और पोलैंड दूतावास को इसकी सूचना दी। इस पर 11 अक्तूबर को दूतावास ने डीजीपी से संपर्क साधा।

 

12 अक्तूबर को गढ़वाल रेंज के आईजी संजय गुंज्याल ने एसडीआरएफ की टीम रेस्क्यू को भेजी। इसके अलावा एनआईएम के एवरेस्टर प्रशिक्षक दशरथ सिंह रावत और तीन अन्य की भी एक टीम रेस्क्यू को भेजी।

बुधवार को फंसे हुए पर्वतारोहियों की कोई जानकारी नहीं मिली तो गुरुवार को सेना की हर्षिल 12 ग्रेनेड, गढ़वाल स्काउट जोशीमठ, एयरफोर्स के चीता हेलीकाप्टर और गुलमर्ग से भी सेना का विशेष दस्ता रेस्क्यू को अभियान में जुटा। शाम करीब साढ़े छह बजे निम की टीम के साथ गए पोलैंड के पर्वतारोही की साथी से सेटेलाइट से संपर्क हुआ। इसके बाद टीम जैसे आगे बढ़ी तो करीब डेढ़ सो मीटर दूरी पर विदेशी लयूकास दिखा। मगर जान बचाने के चक्कर में पर्वतारोही तेजी से आगे बढ़ा। बिना रोपवे के उतरते ही लूयकास(44) की तीन सौ मीटर गहरी खाई गिर गया। रेस्क्यू दल ने बमुश्किल एक घंटे बाद खाई से निकाला। मगर तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। इधर, दल का दूसरा सदस्य ग्रेग करीब 62 सौ मीटर की ऊंचाई पर समिट कैंप पर फंसा हुआ है।उससे अभी रेस्क्यू दल का संपर्क नहीं हो पाया है। तलाश को छह टीमों का रेस्क्यू जारी है।

24 सितंबर को रवाना हुआ था दल

पोलैंड का पांच सदस्यीय दल 24 सितंबर को गोमुख से आगे तपोवन के सामने शिवलिंग आरोहण को गया था। दल समिट कैंप पहुंचा, मगर दो साथी बीमार पड़ गए। इस पर तीन सदस्य नीचे उतरे और इसकी सूचना दूतावास तक पहुंचायी।

दूसरे माउंटेनिय की स्थिति नाजुक

रेस्क्यू दल के मुताबिक एडवांस बेस कैंप से करीब डेढ़ किमी दूरी पर समिट कैंप है।जहां दूसरा साथी फंसा हुआ है। तीन दिन से यह पर्वतारोही बेहोश पड़ा हुआ है। ऐसे में उसके जिंदा होने की उम्मीदें कम ही है। हालांकि रेस्क्यू दल रात को भी समिट कैंप तक पहुंचने का प्रयास करेगा।

समय पर रेस्क्यू न होने से पहले भी हुई मौतें

गंगोत्री घाटी में दर्जनों चोटियां और ट्रेक होने के बाद भी यहां रेस्क्यू के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं है। इससे हर साल घाटी में पर्वतारोही मुसीबत में फंसने से मौत को गले लगा रहे हैं। इससे पहले कालिंदीखाल में 2006 में रशिया दल के तीन सदस्यों की मौत, सतोपंथ पीक पर विदेशी महिला की मौत समेत अन्य कई घटनाएं यहां हो चुकी है।

पर्वतारोही दल के सदस्यों के फंसे होने की सूचना के बाद एसडीआरएफ और अन्य एजेंसियों से मदद ली गई। सर्च एंड रेस्क्यू जारी है। पहले की अपेक्षा पुलिस के पास संसाधन बढ़ गए हैं। हाई एल्टीट्यूड में उपयोग होने वाले उपकरण पुलिस के पास हैं। इससे रेस्क्यू कराने में मदद मिलेगी।
संजय गुंज्याल, आईजी गढ़वाल रेंज

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