-फाइल फोटो।
मुरादाबाद। सुल्तानपुर में चार पत्रकारों को मेडिकल स्टोर वाले से उगाही को लेकर पीटने का मामला सामने आया है। खबर के अनुसार मेडिकल स्टोर पर कुछ दवाई एक्सपायरी की थी। बस मुद्दा मिल गया और पत्रकारों ने मेडिकल स्टोर वाले को खसोटना शुरू कर दिया।
इसी तरह लगभग हर शहर में कुछ पत्रकार उगाही का धंधा चला रहे हैं। जिले में भी कई पत्रकार मुद्दे ढूंढ कर लोगों को धमकाते हैं और अपनी जेबें गर्म करते हैं।
इस तरह होती है रद्दी की भरपाई?
हमने अपनी पिछली एक रिपोर्ट में बताया था कि कुछ नामी अखबारों के स्ट्रिंगर (अस्थायी पत्रकार) रद्दी बेचने पर मजबूर हैं। दरअसल रद्दी से होने वाले नुकसान को लोगों से उगाही करके पूरा किया जाता है।
कैसे होता है खेल?
दरअसल रद्दी में अखबार बच जाने पर प्रति कॉपी तकरीबन 1 से डेढ़ रूपये का नुकसान होता है। जानकारी के अनुसार कई जगहों पर पत्रकार के पास प्रतिदिन 700 से 800 कॉपी बच जाती हैं। यानि लगभग हजार से 1200 का हर रोज़ नुकसान। यानी महीने में 30 हजार से भी ज्यादा। मानदेय के तौर पर मिलते हैं अधिकतम 10 हजार। सवाल उठना लाजिम है कि 10 हजार रूपये महीना में 30 हजार का नुकसान क्यों?
बहरहाल लोगों में इन पत्रकारों की इन हरकतों से रोष व्याप्त है।
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