सर्दी-खाँसी को नज़रअंदाज न करें, तुरंत लें चिकित्सीय सलाह

भोपाल :स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के लोगों से अपील की है कि वे सर्दी-खाँसी, जुकाम, गले में खराश, ‍िसर दर्द, बुखार के साथ सांस लेने में तकलीफ हो, तो कतई नज़रअंदाज न करें। तत्काल शासकीय अस्पताल में चिकित्सक से परामर्श कर अपनी जाँच करवायें। सर्दी-खाँसी होने पर घरेलू इलाज में समय न गंवाए। सही इलाज न होने पर संक्रमण कई बार इतना बढ़ जाता है कि चिकित्सक के लिये भी सम्हालना मुश्किल हो जाता है।

सीमावर्ती प्रदेशों की अपेक्षा प्रदेश में हालांकि स्वाइन प्रकरण काफी कम हैं, परंतु पिछले कुछ दिनों से एच-1 एन-1 प्रभावित मरीजों की संख्या राज्य में भी चिंताजनक ढंग से बढ़ती जा रही है। एक जुलाई से 22 अगस्त तक कुल 391 स्वाइन फ्लू संदिग्ध मरीजों के टेस्ट सेम्पल लिये गये। कुल 344 रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी हैं और 47 की रिपोर्ट आना अभी बाकी है। अब तक 72 मरीजों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हो चुकी है। प्रदेश के शासकीय अस्पतालों में 18 और निजी अस्पतालों में 14 मरीज उपचाररत हैं। इस अवधि में 13 स्वाइन फ्लू रोगियों की मृत्यु हो चुकी है। आज डेंगू के 6 टेस्ट किये गये, जिसमें भोपाल के एक मरीज में डेंगू की पुष्टि हुई है।

क्या करें, क्या न करें

सर्दी-खाँसी आने पर रूमाल या टिशु पेपर का उपयोग करें। टिशु पेपर उपयोग के बाद डस्टबिन में ही डालें। खाँसने वाले से कम से कम एक मीटर की दूरी बनाये रखें। पीड़ित व्यक्ति इस बात का ध्यान रखें कि खाना खाते समय ही मुँह में हाथ लगायें और किसी से हाथ न मिलायें। नाक, मुँह या आँखों का स्पर्श करने पर साबुन से हाथ धोएँ, यथा-संभव भीड़ वाले इलाकों में जाने से बचें।

नमक के गुनगुने पानी या लिस्ट्रिन से गरारे करें। गर्म तरल पदार्थों का अधिक से अधिक सेवन करें। संतुलित एवं पौष्टिक भोजन करें। विटामिन-सी जैसे नींबू, आँवला, संतरा आदि का अधिक से अधिक सेवन करें। दिन में कम से कम एक बार जल-नेति/सूत्र-नेति से नाक साफ करें। यह संभव न हो तो नाक को जोर से छींकते हुए रुई के फोहे को नमक के गर्म पानी में भिगोकर नासिका द्वारों को साफ करें। यदि विटामिन-सी की टेबलेट लेते हैं तो ध्यान रखें, उसमें जिंक शामिल हो। जिंक वाली विटामिन-सी की टेबलेट का सेवन करने से शरीर द्वारा विटामिन-सी का अवशोषण किया जा सकेगा।

डेंगू का मच्छर साफ पानी में पनपता है और दिन में काटता है। अत: अपने घर और आसपास पूरी सफाई रखें। कूलर, टायर, पुराने मटके, बर्तनों आदि में लम्बे समय तक पानी जमा न रहने दें। पूरी आस्तीन के कपड़े पहने। जहाँ पानी निकालना संभव नहीं है, वहाँ एक चम्मच सरसों का तेल डालें। पानी के ऊपर तेल की परत जमने से लार्वा नहीं उत्पन्न होगा। अधिक से अधिक तरल पदार्थ का सेवन करें।

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