सेंट्रल जेल के शहीद प्रधान आरक्षक रमाशंकर सिंह यादव की बेटी सोनिया ने जेल विभाग में नौकरी करने की मध्यप्रदेश सरकार की पेशकश को ठुकरा दिया है। उसका कहना है कि वह किसी और महकमे में नौकरी कर लेगी, लेकिन जेल प्रहरी नहीं बनेगी।
मालूम हो कि दिवाली की रात सिमी आतंकियों ने भोपाल सेंट्रल जेल के प्रधान आरक्षक रमाशंकर की गला रेतकर हत्या कर दी थी और इसके बाद आठों आतंकी जेल से फरार हो गए थे। हालांकि कुछ घंटे बाद मध्यप्रदेश पुलिस ने आठों को भोपाल के पास एक गांव में एनकाउंटर के दौरान ढेर कर दिया था।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शहीद रमाशंकर के परिवार को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता के साथ बेटी सोनिया के अगले माह होने वाले विवाह के लिए पांच लाख की अनुग्रह राशि व नौकरी देने का ऐलान किया था। सोनिया का कहना है कि वह पढ़ी लिखी हैं, लिहाजा जेल प्रहरी की नौकरी नहीं करेगी। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में शासकीय सेवकों के असामयिक निधन पर परिवार के किसी सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति देने का प्रावधान है। रमाशंकर चूंकि आतंकियों के हाथों शहीद हो गए, इसलिए उनका प्रकरण तो सामान्य से हटकर है।
सिमी मुठभेड़ मामले में सरकार ने पुलिस को पुरस्कार फिलहाल टाला
भोपाल में जेल तोड़ने और उसके बाद सिमी आतंकियों की कथित मुठभेड़ की न्यायिक जांच के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने ऑपरेशन में शामिल पुलिसवालों को नगद पुरस्कार अभी टाल दिया है। सरकार ने मुठभेड़ में शामिल पुलिस कर्मियों को 2-2 लाख रुपये के नगद पुरस्कार की घोषणा की थी। ध्यान रहे कि मुठभेड़ की सत्यता पर सवाल उठने के बाद जांच के आदेश दिए गए थे। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक न्यायिक जांच पूरी होने तक सरकार पुरस्कार राशि नहीं दे सकती। नगद पुरस्कार की घोषणा न्यायिक जांच के आदेश से पहले की गई थी।
गौरतलब है कि भोपाल सेंट्रल जेल तोड़कर भागे सिमी के आतंकियों को पुलिसकर्मियों ने 31 अक्तूबर को मुठभेड़ में सभी को मार गिराया था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऑपरेशन में शामिल सभी पुलिसकर्मियों को 2-2 लाख नगद पुरस्कार देने की घोषणा की थी। पुरस्कार की घोषणा के बाद हालांकि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने जांच पूरी होने और सच सामने आने तक पुरस्कार देने पर रोक लगाने की मांग की थी।
सामाजिक कार्यकर्ता अब्दुल जब्बार ने कहा कि पुरस्कार को न्यायोचित ठहराने के लिए सरकार को कम से कम जांच पूरी होने तक इंतजार करना चाहिए। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के अजय दुबे ने भी पुरस्कार की घोषणा पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि मुठभेड़ की सत्यता पर सरकार खुद सवालों के घेरे में है। ऐसे में सरकार को न्यायिक जांच पूरी होने तक इंतजार करना चाहिए था। इस मामले में दो दिन पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक पत्रकार ने जनहित याचिका दायर कर न्यायिक जांच की मांग की थी।
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