सिर पर बाल न होने के कारण इस मासूम को स्कूल में नहीं दिया गया एडमिशन…

NEW DELHI:- देश की राजधानी दिल्ली एक ऐसी खबर सामने जिसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। यहां एक प्राइवेट स्कूल ने एक बच्ची को इस लिए एडमिशन नहीं दिया क्योकि इस लड़की के सर पर बाल नहीं थे।

अब तो ऐसी घटनाए हर रोज देखने को मिल रही है जो कि बहुत अजीब है। इन दिनों स्कूलों में एडमिशन को लेकर काफी सख्त नियम और कानून बनाए गए है लेकिन क्या कोई ऐसा नियम भी हो सकता है। जिसमें बच्चे के सिर पर बाल न होने के चलते उसे एडमिशन न दिया गया हो।

दिल्ली के एक नामी प्राइवेट स्कूल ने एक बच्ची को एडमिशन देने मना कर दिया है। स्पोर्ट्स में नंबर 1, स्कूल एक्टिविटीज में नंबर 1, स्टडीज में नंबर 1, लेकिन बच्ची को क्लास 9 में एडमिशन सिर्फ इसलिए नहीं मिला क्योंकि उसके सर पर ‘बाल’ नहीं हैं। यह मामला मयूर विहार के वनस्थली पब्लिक स्कूल में सामने आया है।

इस बच्ची का नाम अंशिता है। और सिर पर बाल न होने के पीछे उसकी कोई गलती नहीं है। उसे एलोपेसिया नाम की बीमारी है। इस बीमारी के कारण बच्ची के बाल कुछ दिन बढ़ने के बाद अपने से झड़ जाते है। अंशिता के घर वालों ने आरोप लगाया कि वो स्कूल के टेस्ट में भी पास हो गई थी। तब भी स्कूल वालों ने बाल ना होने के कारण उसे से एडमिशन देने से मन कर दिया।

बच्ची की मां शैलेश गुप्ता ने बताया उन्होंने मयूर विहार फेस-3 स्थित वनस्थली पब्लिक स्कूल में नौंवी कक्षा के लिए आवेदन किया था। स्कूल प्रशासन ने बेटी का टेस्ट लिया, जिसमें वह पास हो गई। बृहस्पतिवार को उन्हें दाखिले के लिए बुलाया गया था। जब परिजन स्कूल पहुंचे तो बच्ची का हुलिया देखने के बाद प्रशासन ने दाखिला देने से इनकार कर दिया।

इससे पहले बच्ची भारत भारती पब्लिक स्कूल में पढ़ाई कर रही थी। वहां सिर्फ आठवीं कक्षा तक पढ़ाई होती है। आगे की पढ़ाई के लिए उसने वनस्थली

पब्लिक स्कूल में प्रवेश परीक्षा दिया था। बच्ची का सपना है कि वह डीएम बनकर देश की सेवा करे।

वहीं, बच्ची की मां का कहना है कि जो बच्चे दिव्यांग श्रेणी में होते हैं, वे भी अपना नाम रोशन करते हैं, लेकिन स्कूल सिर्फ बाल नहीं होने की वजह से हमारी बच्ची से यह मौका भी छीन रहा है।

गौरतलब है कि जन्म के एक महीने बाद से ही अंशिता एलोपेसिया नामक बीमारी की शिकार हो गई। इस बीमारी में सिर के बाल झड़ जाते हैं। अंशिता के परिजनों ने उसका कई जगह इलाज करवाया लेकिन मासूम को अभी तक इस बीमारी से निजात नहीं मिल पाया है। स्कूल प्रशासन के रवैये से अंशिता के माता-पिता बेहद निराश हैं।

 

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