चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बुधवार को सीपीसी कांग्रेस में दो टूक कहा कि वह ताइवान की आजादी की किसी भी कोशिश को कामयाब नहीं होने देंगे। उन्होंने ताइवान के लिए भी ‘एक देश, दो सिस्टम’ मॉडल को अपनाने की बात कही ताकि एकजुटता बरकरार रखी जा सके। गौरतलब है कि ताइवान में आजादी की मांग बढ़ी है। यही नहीं वहां के राष्ट्रपति ने भी चीन के साथ संबंधों को कम तरजीह देनी शुरू की है। हॉन्ग कॉन्ग और मकाऊ में भी चीन का ‘एक देश, दो सिस्टम’ वाला मॉडल लागू है।
चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) की मुख्य बैठक ‘कांग्रेस’ की शुरुआत करते हुए जिनपिंग ने कहा कि चीन अपने वैध हितों को नहीं छोड़ने वाला है।। इसी के साथ चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी अपनी शक्तियों को और बढ़ाने के लिए तैयार हैं। इसमें शी जिनपिंग के दूसरे कार्यकाल पर मुहर लगाई जाएगी। इसके अलावा पार्टी के संविधान में बदलाव कर शी को माओ त्से तुंग जैसा दर्जा देने पर भी सहमति बनाने की तैयारी है।
चीन इन दिनों अपनी विदेश नीति के कारण सुर्खियों में है। अपने कारोबार के इतर वो भारत और अमेरिका विरोधी देशों का संरक्षक बनता जा रहा है। पाकिस्तान से पक्की दोस्ती के अलावा वेा उत्तर कोरिया की तरफ से अमेरिका को धमकी भी दे चुका है। हालांकि चीन में भी उनकी नीतियों के खिलाफ आवाज उठती रहती है।
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