हाजिरी के वक्त जय हिंद कहलवाने की बजाय शिक्षा व्यवस्था को सुधारा जाए

भोपाल। आमतौर पर स्कूलों में हाजिरी के वक्त बच्चे यस सर या यस मैम बोलते हैं लेकिन अब नए सरकारी आदेश के बाद सभी बच्चे जय हिंद बोला करेंगे। इस आदेश को शिक्षा विभाग ने ऑफिशियल तौर पर लागू करने के आदेश जारी कर दिए हैं और इसे नए शैक्षणिक सत्र से लागू कर दिया जाएगा। यह फैसला स्कूल शिक्षा विभाग ने बच्चों में देश भक्ति की भावना जागृत करने के उद्देश्य से लिया है। यह फैसला सही है बच्चों को देश भक्ति सिखाना चाहिए लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी विद्यार्थियों के बेहतर भविष्य के लिए अच्छी शिक्षा उपलब्ध करवाना है और सरकार इसमें हमेशा असफल रही है। विद्यार्थियों को क्या पहनना या बोलना चाहिए या कौन-सी संस्कृति का पालन करना चाहिए पर ध्यान देने के बजाय सरकार को स्कूलों और शिक्षा व्यवस्था की स्थिति सुधारनी चाहिए।
 
हालांकि, कुछ लोग इसे मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव से भी जोड़कर देख रहे हैं। वोट पाने के लिए यह शिवराज सिंह चौहान की कोई सियासी चाल हो सकती है। वैसे भी यह आदेश सिर्फ सरकारी स्कूलों के लिए लिया लागू किया गया है जिस पर बहस हो सकती है कि इसे प्राइवेट स्कूलों में क्यों लागू नहीं किया गया।
 

सतना में हुआ था सबसे पहले प्रयोग

बीजेपी सरकार के शिक्षा मंत्री कुंवर विजय के सितंबर 2017 में दिए इस बयान पर विवाद गर्मा गया था। विजय शाह ने सतना में हाजिरी में जय हिंद बोलने की नसीहत दे डाली थी। मंत्री जी ने स्कूल के बच्चों को सिखाया था कि अब आप लोग यस सर और यस मैम बोलने के बजाय जयहिंद बोला करें।
 
इससे पहले ‘वंदे मातरम’ गाने को लेकर भी विवाद गर्माया था। उस वक्त डैमेज कंट्रोल के लिए मुख्तार अब्बास नकवी को कहना पड़ा था कि ‘वंदे मातरम’ गाना ‘अपनी पसंद की बात ‘ है और जो लोग इसे गाने से इंकार कर रहे हैं उन्हें देशद्रोही नहीं करार दिया जा सकता।

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