अहमदाबाद बम ब्लास्ट केस में पांच साल से क़ैद चार मुस्लिम युवक बाइज़्ज़त बरी

अहमदाबाद, 2008 के अहमदाबाद बम ब्लास्ट केस में महारष्ट्र एटीएस ने चार युवकों को छपा मारकर गिरफ्तार किया था और एक युवक को कथित मुठभेड़ में मार दिया था। उस मामले में अब औरंगाबाद की विशेष सत्र अदालत ने सोमवार को फैसला सुनाते हुए चारो मुस्लिम नौजवानों को आतंक के आरोपों से बाइज्जत बरी कर दिया है।
 
एटीएस ने युवकों का सम्बन्ध आतंकवादियों से होने का दवा किया था
 
इस ब्लास्ट के आरोप में ज़फर कुरैशी, शेखर खिलजी, अबरार शेख, और अनवर खत्री को 26 मार्च 2012 को हुए हिमायत बॉघ एनकाउंटर मामले में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें महाराष्ट्र एटीएस ने मौके पर अजहर खत्री को मार दिया था। एटीएस ने दावा किया था कि इन लोगों का संबंध आतंकवाद से हैं। जिसके बाद इन आरोपियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 (यूएपीए), आईपीसी की धारा 307, 353 और 34 और शस्त्र अधिनियम की धारा 3, 25 के तहत औरंगाबाद की विशेष सत्र अदालत में मुकदमा चलाया गया।
 
जमियत उलामा-ए-महाराष्ट्र ने इस मुकदमे की कमान संभाली और युवकों को बरी करवाया
 
आरोपियों की मांग पर इसी साल मार्च में जमियत उलामा-ए-महाराष्ट्र ने इस मुकदमे की कमान संभाली थी। जिसके बाद न्यायाधीश वीवी पाटिल ने इस मामले में तेज़ कार्यवाही शुरु कर दी। इस तरह के झूठे आरोपों में बंद कई युवाओं को जमीयत उलामा-ए-महाराष्ट्र पहले भी बरी करवा चुका है। सोमवार को आए फैसले ने सभी चार आरोपियों को यूएपीए से बरी कर दिया है। लेकिन शेखर खिलजी और अबरार शेख को आईपीसी की धारा 307 में दोषी ठहराया गया है।
 
इस मामले की जांच सीआईडी ने की थी
 
गौरतलब है कि बरी किए गए चारों नौजवानों पर 2008 के अहमदाबाद बम विस्फोट मामले में मुकदमा चल रहा था। इनपुट के आधार पर, महाराष्ट्र एटीएस ने 2012 में औरंगाबाद के हिमायत बॉघ इलाके में छापा मारा, जिसमें आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) ने एक आरोपी को कथित तौर पर मुठभेड़ में मार गिराया था। इस मामले की जांच सीआईडी ने की थी।
 
जमीयत उलमा-ए-महाराष्ट्र ने अदालत के इस फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए यह उम्मीद जाहिर की है कि बाकी के दोनों भी जल्द ही आरोपमुक्त हो जायेंगे। जामियत उलामा-ए-महाराष्ट्र के अध्यक्ष हाफिज़ नदीम सिद्दीकी ने कहा, “यह समाज के लिए एक बड़ी कामयाबी है कि सभी आरोपियों को आतंकवाद के आरोपों से बरी कर दिया गया है। इससे एक बार फिर से साबित हुआ है कि हमारा संगठन जमीयत उलामा-ए-महाराष्ट्र बेगुनाहों को इंसाफ दिलाने के लिए पूरी ईमानदारी से लड़ रहा है”।

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