आईएस का इंडिया चीफ सैफुल्लाह को बनाना चाहता था यूपी कमाण्डर

Lucknow : लखनऊ की सबसे बड़ी आतंकी मुठभेड़ का ‘विलेन’ सैफुल्लाह आईएस के आकाओं की नजरों में ‘हीरो’ था। ज़हन में खतरनाक मंसूबे पलाने वाला सैफुल्लाह आईएस के इंडिया चीफ शेख मुज़ब्बिर को इस कदर भाया था कि वह उसे यूपी में आईएस के नए मॉड्यूल का सिपेहसलार बनाना चाहता था। पिछले साल इंदिरानगर में हुई एक खुफिया बैठक में शेख मुदब्बिर ने इसका प्रस्ताव भी दिया था। पर, सीरिया में बैठे आईएस के आका इस पर राजी न हुए थे। पिछले वर्ष शेख मुज़ब्बिर के मुंबई में पकड़े जाने पर सैफुल्लाह का नाम प्रकाश में आया था।
एनआईए (केंद्रीय जांच एजेंसी) ने इंट्रोगेशन रिपोर्ट में इसका जिक्र भी किया है। ऐसे में यूपी पुलिस के उस दावे पर सवाल उठ गया है जिसमें वह सैफुल्लाह के आईएस कनेक्शन न होने की बात कह रही है।
‘कोड नेम’ लेकर चुनी अपनी राह
एनआईए ने शेख मुज़ब्बिर से पूछताछ के बाद जो रिपोर्ट बनाई उसमें सैफुल्लाह का नाम प्रमुखता से अंकित किया गया। शेख मुज़ब्बिर ने बताया था कि सैफुल्लाह से उसकी मुलाकात कानपुर के एक मॉड्यूल के जरिए हुई थी। वह सोशल साइट्स पर बेहद सक्रिय रहता था और आईएस की गतिविधियों का पुरजोर समर्थन करता था। तेज तर्रार सैफुल्लाह का यही अंदाज उसे पसंद था। शेख मुज़ब्बिर ने बताया कि वह सैफुल्लाह को यूपी में आईएस के नए मॉड्यूल का कमाण्डर बनाना चाहता था। अपनी इस चाहत को मुकम्मल करने के लिए उसने सैफुल्लाह को ‘इकराम’ कोड नेम दिया था।

इनकार पर खफा हो गया था सैफुल्लाह
शेख मुज़ब्बिर ने बताया था कि पिछले साल इंदिरानगर के मुंशी पुलिया में मोहम्मद अलीम के ठिकाने पर संगठन की बैठक हुई थी। इसमें अलीम, रिजवान, शमी काजमी उर्फ समीउल्लाह समेत अन्य लोगों के साथ सैफुल्लाह भी शामिल हुआ था। बैठक में उसने सैफुल्लाह को यूपी का मुखिया बनाने का प्रस्ताव दिया था।

पर, एक विरोधी पंथ का होने की वजह से अबु अल बगदादी के सीरिया में मौजूद करीबी सफी अरमर ने इसके लिए इनकार कर दिया था। यह बात सैफुल्लाह को नागवार गुजरी थी और वह बैठक छोड़कर चला गया था। शेख ने बताया था कि बाद में उसने सैफुल्लाह को मनाकर उसे दूसरे संगठन आमिर-ए-अस्कारी का कमाण्डर बना दिया था।

23 जनवरी 2016 को एनआईए ने इंदिरानगर से मोहम्मद अलीम को गिरफ्तार किया था। अलीम हेयर कटिंग सैलून की आड़ में लखनऊ में आईएस की जमीन तैयार कर रहा था। अलीम की गिरफ्तारी के साथ ही एनआईए ने हरदोई से शमी काजमी और कुशीनगर से रिजवान को भी गिरफ्तार किया था। ताबड़तोड़ कार्रवाई से संगठन के कमजोर होने के साथ जांच एजेंसियों को सैफुल्लाह का नाम भी पता चल गया था। इससे वाकिफ सैफुल्लाह ने अपना ठिकाना बदल लिया था। बाद में उसने गौस मोहम्मद के साथ मिलकर खुरासन मॉड्यूल बना लिया था।
वीडियो देख ली बम बनाने की ट्रेनिंग
गौस मोहम्मद की तर्ज पर सैफुल्लाह भी युवाओं को आईएस का प्रचारक बना रहा था।

युवाओं का ब्रेन वॉश करने के लिए वह उन्हें लैपटॉप और मोबाइल पर आईएस के वीडियो दिखाता था। मध्य प्रदेश ट्रेन ब्लॉस्ट में पकड़े गए उसके तीन साथियों ने इसकी पुष्टि की है। सैफुल्लाह लोगों को वीडियो दिखाकर कहता था कि इसी तरह हमें भी कौम के लिए कुछ करना है। एटीएस के मुताबिक सैफुल्लाह ने वीडियो देखकर आईईडी बम बनाने की ट्रेनिंग ली और बाद में साथियों को भी पूरा फॉर्मूला समझाया।

सर्विलांस से बचने को वॉकी-टॉकी
सैफुल्लाह जानता था कि मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से वह जांच एजेंसियों के रडार पर आ सकता है। इसलिए उसने वॉकी-टॉकी सेट रखे थे। वह साथियों के साथ वॉकी-टॉकी पर बात करने की प्रैक्टिस भी करता था।

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