भोपाल । राइट टू एजूकेशन (आरटीई) के तहत लॉटरी में गरीब बच्चों को स्कूल आवंटन के बाद भी एडमिशन नहीं मिल पा रहा है। बीआरसी आफिसों नोडल अधिकारी नहीं मिल रहे हैं, वहीं जहां अधिकारी मिल रहे हैं तो अभिभावकों को दस्तावेजों के नाम पर दौड़ाया जा रहा है। कई अभिभावक पूरे दस्तावेज होने के बावजूद फार्म में करेक्शन होने के कारण परेशान हैं, इसे सुधारने के बजाय अभिभावकों को परेशान किया जा रहा है। नया सत्र शुरू होने के डेढ़ माह बाद भी गरीब बच्चों का दाखिला स्कूलों में नहीं हो सका है। जबकि स्कूलों दाखिले के लिए शासन ने 10 जुलाई को लॉटरी निकाली चुकी है। आरटीई में गैर अनुदान प्राप्त अशासकीय स्कूलों में वंचित समूह एवं कमजोर वर्ग के बच्चों के नि:शुल्क प्रवेश के लिए स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. कुं. विजय शाह ने 10 जुलाई को एनआईसी के सर्वर का बटन दबाकर आॅनलाइन लॉटरी निकाली थी।
लॉटरी में दो लाख 50 हजार बच्चों को स्कूल आवंटित किए गए हैं। इनमें से 2 लाख 5 हजार 843 बच्चों को उनके द्वारा चाहे गए प्रथम वरीयता (फस्ट च्वाइस) के स्कूलों में प्रवेश मिला। लॉटरी में अपने बच्चों का नाम बड़े स्कूलों में आने के बाद खुशी का ठिकाना नहीं था, लेकिन नोडल सेंटरों में पहुंचते ही खुशी गम में बदल रही है। बच्चों के स्कूलों में दाखिले दिलाने के लिए दस्तावेजों के सत्यापन के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने की बात कही गई थी।
लेकिन स्थिति यह है कि कई जगह नॉडल अधिकारियों की नियुक्ति भी नहीं हो सकी है। अब तक भोपाल जिले के नए और पुराने शहर के बीआरसी कार्यालय से नोडल अधिकारी की सूची तक तय नहीं हो सकी है। 12 जुलाई को फाइनल होनी थी सूची : यह सूची 12 जुलाई तक फाइनल हो जाना चाहिए थी। ज्ञातव्य है कि प्रदेश में आरटीई के लागू होने के साथ ही वर्ष 2011-12 से 2017-18 तक लगभग 10 लाख बच्चे इस प्रावधान के तहत निजी स्कूलों की प्रथम प्रवेशित कक्षाओं में प्रवेश ले चुके हैं।
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