..इसलिए दवाइयों से ठीक नहीं हो रहा आपका मर्ज

नई दिल्ली। 18 बड़ी दवा कंपनियां दवा नियामकों के टेस्ट में फेल हो गई हैं। सात राज्यों के दवा नियामकों के मुताबिक 18 बड़ी कंपनियों की 27 दवाइयों में घटिया गुणवत्ता, गलत लेबल, सामग्री की गलत मात्र, नमी, रंग घुलने और टूटने की समस्या का मामला सामने आया है। 18 में से केवल दो कंपनियों ने बताया है कि उन्होंने उन दवाओं की बिक्री रोक दी है जिनकी गुणवत्ता पर सवाल उठे हैं। वहीं एक अन्य कंपनी ने बताया कि उसने दवा को बाजार से वापस ले लिया है। इन 27 दवाओं पर महाराष्ट्र, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, गोवा, गुजरात, केरल और आंध्र प्रदेश के दवा नियामकों ने टेस्ट कराए। गुजरात दवा नियामक की ओर से कराए गए टेस्ट में सामने आया कि जीएसके की फेक्सिन में बताई गई मात्र से कम सिफालेक्सिन था।

 

गुजरात में ही कैडिला हैल्थकेयर की हाई ब्लड प्रेशर की दवा एम्लोमेड को अप्रैल के महीने में दो बार घटिया बताया गया। नियामक के अनुसार इसमें लेबल पर दिखाई मात्र का केवल 53.4 प्रतिशत ही एम्लोडिपीन साल्ट था। महाराष्ट्र दवा नियामक के अनुसार एल्केम लैब्स की क्लेवेम बिड सीरप की गुणवत्ता घटिया थी।

उसमें जरुरत से ज्यादा क्लावुलानिक एसिड था। इस दवा की सालाना 257.32 करोड़ की सेल है।
इन कंपनियों की दवाएं हैं खराब
इन कंपनियों में एबॉट इंडिया, ग्लैक्सो स्मिथकलाइन इंडिया, सन फार्मा, सिप्ला और ग्लेनमार्क शामिल है। 10 अन्य कपंनियों एल्केम लैब्स, कैडिला हैल्थकेयर, सिप्ला, एमक्योर फार्मा, हेटेरो लैब्स, मोरपेन लैब्स, मेक्लायॅड्स फार्मा, सन फार्मा, वॉकहार्ड फार्मा और जायडस हैल्थकेयर पर भी घटिया दवाएं बेचने का आरोप है। हेटेरो लैब्स की रेबलेट और प्लावास पर बंगाल व महाराष्ट्र, सन फार्मा की फेरिना को लेकर कर्नाटक और वॉकहार्ड की एनप्रिल पर महाराष्ट्र में सवाल उठा है। एम्क्यॉर फार्मा की दवा रिफाम्पिन की गुणवत्ता पर गुजरात के दवा नियामक ने सवाल उठाए।

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ये हैं गुणवत्ता से रहित दवाएं
जिन दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठे हैं उनमें, एबॉट इंडिया की एंटीबायोटिक दवा पेंटाइड्स, एलेम्बिक फार्मा की एंटी बैक्टेरियल दवा एल्थ्रोसिन, कैडिला फार्मा की माइग्रेन की दवा वासाग्रेन, ग्लेनमार्क फार्मा की कफ सिरप एस्कॉरिल, जीएसके इंडिया की वर्म इंफेंक्शन की दवा जेंटल, टॉरंट फार्मा की हायरपर टेंशन की दवा डिलजेम, सनोफी सिंथेलेबा की एंटी इंफ्लमेटरी दवा मायोरिल शामिल है। सिप्ला की चार दवाएं फिक्सोबेक्ट, सिप्लोरिक, ओमेसिप डी और डिलवास को लेकर बंगाल, आंध्र प्रदेश, गुजरात और केरल में कमी निकली।

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