देहरादून। उत्तराखंड में कांग्रेस के नौ बागी विधायकों की सदस्यता खत्म करने के मामले में सोमवार को नैनीताल उच्च न्यायालय में सुनवाई शाम साढ़े चार बजे तक चली। इससे आगे की सुनवाई मंगलवार को होगी। सुनवाई के दौरान बागी विधायकों की तरफ से कहा गया कि बागी विधायकों ने पार्टी नहीं छोड़ी। उच्च न्यायालय ने विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल की पैरवी कर रहे वकील अमित सिब्बल से पूछा कि क्या 18 मार्च को विधानसभा में विनियोग विधेयक पास हुआ था?
अदालत ने पूछा कि क्या विधानसभा अध्यक्ष ने फैसला लेते वक्त प्राकृतिक न्याय सिद्धांत का पालन किया था? इसके साथ ही अदालत ने कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येद्दियुरप्पा मामले का हवाला देते हुए इस पर राय मांगी। उधर, अपना पक्ष रखते हुए बागी विधायकों के वकील सी.ए. सुंदरम ने कहा कि जब 35 विधायक विरोध में थे तो विधानसभा में विधेयक कैसे पारित हुआ? विधानसभा अध्यक्ष ने दल-बदल की प्रक्रिया पूरी नहीं की। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष का फैसला पूर्वाग्रह से ग्रसित था। अब अगली सुनवाई मंगलवार को होगी।
अदालत अब बागी विधायकों का पक्ष सुन रही है, जिसके बाद फैसला सुनाया जा सकता है। इससे पहले, गत शनिवार को विधानसभा अध्यक्ष की ओर से पक्ष रखा गया था। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति यूू.सी. ध्यानी की एकल पीठ के समक्ष हो रही है। गौरतलब है कि बागी विधायक सुबोध उनियाल, शैला रानी रावत, उमेश शर्मा काऊ, कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन, हरक सिंह रावत, अमृता रावत, शैलेंद्र मोहन सिंघल व प्रदीप बत्रा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर 27 मार्च, 2016 को सदस्यता खत्म करने संबंधी विधानसभा अध्यक्ष के आदेश को चुनौती दी थी।
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